आधुनिक भारत का इतिहास प्रश्न उत्तर भाग 1 (History of Modern India Question Answer Part 1)

आधुनिक भारत का इतिहास Q & A भाग 1 (History of Modern India Q & A Part 1)

“आधुनिक भारत का इतिहास – प्रश्न उत्तर भाग 1” संग्रह आधुनिक भारतीय इतिहास की कई अहम घटनाओं और उपलब्धियों का एक समृद्ध संकलन है, जो न केवल मुख्य तिथियाँ और प्रमुख हस्तियों (जैसे—टीपू सुल्तान, भगत सिंह, मोतीलाना नेहरू, रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि) का उल्लेख करता है, बल्कि उन पहलुओं को भी उजागर करता है जो आज़ादी की लड़ाई में निर्णायक रहे हैं। इस सूची में उल्लेखित कुछ बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा निम्न प्रकार है:

1. विदेशी आक्रमण और संधियाँ:

उदाहरण के तौर पर, प्रश्न 1 में टीपू सुल्तान और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1784 में मंगलौर की संधि का उल्लेख है। यह संधि दूसरी अंग्रेज़-मैसूर युद्ध की परिणति थी और उसने आगे चलकर ब्रिटिश नीतियों तथा भारत के भू-राजनीतिक परिवेश पर गहरा प्रभाव डाला। 

2. स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणाएँ और विचार:

प्रश्न 2 में भगत सिंह के कथन का उल्लेख है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि "इंकलाब की तलवार विचारों की धार पर तेज होती है"। यह विचार आज़ादी के आंदोलन में शस्त्रों से अधिक विचारों और उनमें निहित उग्र ऊर्जा का महत्व दर्शाता है। इसी तरह, अन्य प्रश्नों में कांग्रेस के विभिन्न अधिवेशनों, असहयोग आन्दोलन, और अन्य आंदोलनों के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण घटनाओं एवं तारीखों का उल्लेख है। 

3. राजनीतिक संगठन और औपनिवेशिक नीतियाँ:

o   1916 के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस के उदारवादी और उग्रवादी नेताओं के पुनर्मिलन जैसे महत्वपूर्ण मोड़ के साथ-साथ, 'वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट' और ऐसे ही कई औपनिवेशिक कानूनों का उल्लेख किया गया है, जो ब्रिटिश शासन के नियंत्रणाधीन भारतीय समाज की नीतिगत प्रतिबंधों को रेखांकित करते हैं। 

o   स्वराज पार्टी  की स्थापना (प्रश्न 9) और 'इंडिपेन्डेन्स' नामक समाचार पत्र की शुरुआत (प्रश्न 31) जैसी घटनाएँ उस समय की राजनीतिक जागरूकता और संघर्ष का प्रमाण हैं।

4. विदेशी आगमन और व्यापार:

प्रश्न 43 से प्रश्न 50 तक, पुर्तगाल से जुड़े आगमन, वास्कोडिगामा की भारत आगमन, और समुद्री मार्गों की खोज जैसे मुद्दों ने भारतीय उपमहाद्वीप के वैश्विक संपर्कों और व्यापारिक परिवेश पर गहरा प्रभाव डाला। उदाहरण के लिए, वास्कोडिगामा के भारत आगमन (1498 ई.) ने भारत को यूरोपीय दुनिया से परिचित कराया और आगे चलकर बाबजूद कई राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तनों की सीढ़ी बन गया।

यह प्रश्न उत्तर न केवल परीक्षा की तैयारी या त्वरित रिवीजन के लिए उपयोगी हैं, बल्कि ये हमें उस समय की जटिलताओं—राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों—को समझने में भी मदद करते हैं, जिसने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यदि आपको इनमें से किसी विशेष प्रश्न या घटना के बारे में और गहराई से चर्चा करनी है – चाहे वह ब्रिटिश नीतियाँ, स्वतंत्रता संग्राम के मोड़, या भारत में यूरोपीय व्यापारिक गतिविधियों से जुड़ी हो – मैं इसे विस्तृत संदर्भ, ऐतिहासिक दस्तावेज़ों और विश्लेषण के साथ प्रस्तुत कर सकता हूँ।

अतिरिक्त जानकारी:

आप आधुनिक भारतीय इतिहास के अध्ययन को एक समयरेखा या विषयवार श्रेणी में विभाजित भी देख सकते हैं, जिससे इन घटनाओं का आपस में सम्बंध और क्रमबद्धता स्पष्ट हो सके। उदाहरण के लिए, 

o   औपनिवेशिक प्रारंभ - पुर्तगाली आगमन, वास्कोडिगामा का आगमन, और प्रथम फैक्ट्री की स्थापना (सूरत)। 

o   राजनीतिक संघर्ष - टीपू सुल्तान के खिलाफ संधियाँ, ब्रिटिश प्रशासनिक नीतियाँ (जैसे—वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट) और कांग्रेस के विभाजन से लेकर विभिन्न आंदोलनों तक। 

o   सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन - भगत सिंह के विचार, असहयोग आन्दोलन, तथा नगरीय और ग्रामीण स्तर पर हो रहे संघर्ष।

इस तरह की विषयवार चर्चा और समयरेखा आपको न केवल परीक्षा में मदद करेगी, बल्कि आधुनिक भारतीय इतिहास के गहरे संदर्भ और बारीकियों को भी उजागर करेगी।

नीचे एक व्यापक ब्लॉग पोस्ट है जो आधुनिक भारतीय इतिहास पर 50 महत्वपूर्ण प्रश्नों को उनके उत्तरों और विस्तृत व्याख्याओं के साथ प्रस्तुत करता है। यह प्रारूप न केवल इतिहास के प्रति उत्साही लोगों को महत्वपूर्ण तथ्यों की समीक्षा करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, बल्कि प्रत्येक घटना के पीछे के संदर्भ को समझने के लिए भी है, जो भारत की आधुनिकता की यात्रा पर एक समृद्ध परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है।

 आधुनिक भारतीय इतिहास: विस्तृत व्याख्याओं के साथ 50 प्रश्नोत्तर

आधुनिक भारत का इतिहास साहसिक निर्णयों, प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों और ऐतिहासिक घटनाओं का एक ताना-बाना है, जिन्होंने राष्ट्र को बदल दिया। इस ब्लॉग में, हम आधुनिक भारतीय इतिहास पर अक्सर पूछे जाने वाले 50 प्रश्नों के उत्तर देते हैं और प्रत्येक उत्तर के पीछे की कहानी को गहराई से समझते हैं। आगे पढ़ें कि किस तरह संधियों, विद्रोहों, सुधार आंदोलनों और दूरदर्शी नेताओं ने भारत के भाग्य को आकार दिया है।

आधुनिक भारतीय इतिहास। औपनिवेशिक भारत। स्वतंत्रता आंदोलन। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी। स्वतंत्रता सेनानी। क्रांतिकारी नेता। सामाजिक-राजनीतिक सुधार। आजादी। क्रांतिकारी विचार। असहयोग। स्वराज। विभाजन। शैक्षिक सुधार। समुद्री अन्वेषण। पुर्तगाली उपनिवेशीकरण।

1. मंगलौर की संधि 

प्रश्न: टीपू सुल्तान और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मंगलौर की संधि किस वर्ष में की थी? 

उत्तर: 1784 में। 

व्याख्या: यह संधि दूसरी अंग्रेज़-मैसूर युद्ध के बाद हुई, जिसने ब्रिटिश नीति और क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों में महत्वपूर्ण बदलाव लाए। टीपू सुल्तान की वीरता और ब्रिटिश प्रशासकीय चालाकी का यह मिलन, दोनों पक्षों के हितों के बीच संतुलन की एक झलक प्रदान करता है।

मंगलौर संधि। टीपू सुल्तान। इंग्लिश कंपनी। अंग्रेज़-मैसूर युद्ध।

2. भगत सिंह का विचार 

प्रश्न: "पिस्तौल और बम इंकलाब नहीं लाते, बल्कि इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है..." यह वाक्य किस स्वतंत्रता सेनानी का है? 

उत्तर: भगत सिंह का। 

व्याख्या: यह कथन बताता है कि भगत सिंह मानते थे कि केवल भौतिक हथियार ही नहीं, बल्कि विचारों की तीक्ष्णता और नई दिशा भी क्रांतिकारी बदलाव लाती है। उनके इस विचार ने युवाओं में एक नई चेतना और दूरदर्शिता का संचार किया। 

भगत सिंह। क्रांतिकारी विचार। स्वतंत्रता संग्राम। अक्रांतिकी ऊर्जा।

3. 1906 का कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन 

प्रश्न: 1906 में कलकत्ता में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे? 

उत्तर: दादाभाई नौरोजी। 

व्याख्या: दादाभाई नौरोजी, जिन्हें "ग्रैंड ओल्ड मैन" के नाम से भी जाना जाता है, ने कांग्रेस के प्रारंभिक दौर में आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों को उठाया। उनका योगदान भारतीय राष्ट्रीयता के विकास में महत्वपूर्ण रहा। 

दादाभाई नौरोजी। कलकत्ता अधिवेशन। भारतीय राष्ट्रीयता। प्रारंभिक कांग्रेस।

4. वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट 

प्रश्न: 'वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट' किसके शासन काल में पारित हुआ था? 

उत्तर: लॉर्ड लिटन के शासन काल में। 

व्याख्या: यह कानून भारतीय भाषाओं में प्रकाशित सामग्रियों पर कड़ी नियंत्रण के लिए लगाया गया था। ब्रिटिश प्रशासन का उद्देश्य था कि स्थानीय जनता को सूचनाओं से दूर रखा जाए, जिससे वे स्वतंत्रता संग्राम के संदेशों से अप्रभावित रहें। 

वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट। ब्रिटिश सेंसरशिप। लॉर्ड लिटन। औपनिवेशिक नियंत्रण।

5. इल्बर्ट बिल 

प्रश्न: इल्बर्ट बिल किस वायसराय के शासन काल में पेश किया गया था? 

उत्तर: लॉर्ड रिपन के शासन काल में। 

व्याख्या: लॉर्ड रिपन के कार्यकाल के दौरान पेश किया गया इल्बर्ट बिल भारतीय न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। यह विधेयक यह सुनिश्चित करने का प्रयास था कि भारतीयों को न्यायालय में वस्तुनिष्ठ रूप से परखा जाए, भले ही यह कदम अपने समय में विरोधाभासी भी रहा। इल्बर्ट बिल का उद्देश्य भारतीयों और यूरोपीय लोगों के बीच न्यायिक और प्रशासनिक असमानता को समाप्त करना था। यह भारत में न्यायिक सुधार का एक प्रारंभिक प्रयास था।

इल्बर्ट बिल। न्याय सुधार। लॉर्ड रिपन। भारतीय न्यायपालिका।

6. कांग्रेस का पुनर्मिलन 

प्रश्न: कांग्रेस के उदारवादी और उग्रवादी नेताओं में पुनः मेल कब व किस अधिवेशन में हुआ? 

उत्तर: 1916 के लखनऊ अधिवेशन में। 

व्याख्या: लखनऊ अधिवेशन 1916 में कांग्रेस के भीतर मतभेदों को पाटने का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उदारवादी और उग्रवादी विचारधाराएँ, भारतीय स्वतंत्रता के एक साझा लक्ष्य के तहत एकजुट हो गई थीं। 

लखनऊ अधिवेशन। उदारवादी। उग्रवादी। कांग्रेस पुनर्मिलन।

7. विदेशी वस्त्रों पर कड़ाई 

प्रश्न: असहयोग आन्दोलन के दौरान विदेशी वस्त्रों को जलाने को किसने 'निष्य बर्बादी' कहा? 

उत्तर: रवीन्द्रनाथ टैगोर ने। 

व्याख्या: रवीन्द्रनाथ टैगोर ने असहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी निर्मित कपड़ों को जलाने को "निश्चय बर्बादी" (कीमती संसाधनों की बर्बादी) कहा था। उनकी आलोचना इस विश्वास पर आधारित थी कि आर्थिक स्वाभिमान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि राजनीतिक संघर्ष। टैगोर ने विदेशी वस्त्रों की तुलना भारतीय सांस्कृतिक विरासत के संदर्भ में की। उनका यह कथन यह दर्शाता है कि केवल राजनीतिक स्वाधीनता ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक स्वतंत्रता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

रवीन्द्रनाथ टैगोर। असहयोग आन्दोलन। विदेशी वस्त्र। सांस्कृतिक स्वाधीनता।

8. 1939 का त्रिपुरी सम्मेलन 

प्रश्न: 1939 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के त्रिपुरी सम्मेलन में सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। त्रिपुरी कहाँ है? 

उत्तर: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में। 

व्याख्या: 1939 में मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के एक कस्बे में आयोजित त्रिपुरी सम्मेलन में सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया। उनके गतिशील दृष्टिकोण ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अधिक उग्रवादी और सक्रिय रुख की ओर बदलाव का संकेत दिया। त्रिपुरी सम्मेलन में सुभाष चंद्र बोस का चयन उनके उग्र और दूरदर्शी दृष्टिकोण का परिचायक था। यह सम्मेलन न केवल नेतृत्व के परिवर्तन का संकेत था, बल्कि इसमें देशभक्ति के नए आयाम भी देखने को मिले। 

त्रिपुरी सम्मेलन। सुभाष चंद्र बोस। जबलपुर। उग्र स्वतंत्रता संग्राम।

9. स्वराज्य पार्टी की स्थापना 

प्रश्न: 1 जनवरी, 1923 को किसके द्वारा 'स्वराज्य पार्टी' की स्थापना की गई? 

उत्तर: देशबंधु चितरंजनदास और मोतीलाल नेहरू द्वारा। 

व्याख्या: स्वराज्य पार्टी का निर्माण कांग्रेस में एक आंतरिक विद्रोह की निशानी था। यह पार्टी पारंपरिक राजनीतिक ढांचे में सुधार की कोशिश करती थी और भारत में स्वशासन की मांग को नई दिशा देती थी। देशबंधु चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू द्वारा स्वराज्य पार्टी का गठन औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ सीधे आंदोलन की आवश्यकता की प्रतिक्रिया थी। विधान सभाओं के भीतर से स्थापित व्यवस्था को चुनौती देकर, उन्होंने स्व-शासन की दिशा में भारत के कदम को तेज़ करने की कोशिश की।

स्वराज्य पार्टी। देशबंधु चितरंजनदास। मोतीलाल नेहरू। आंतरिक विद्रोह। स्वशासन।

10. विश्व धर्म सम्मेलन – शिकागो 1893 

प्रश्न: शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म सम्मेलन किस वर्ष हुआ था, जिसमें स्वामी विवेकानन्द के कथन को मुख्य आकर्षण के रूप में शामिल किया गया था? 

उत्तर: 1893 में। 

व्याख्या: स्वामी विवेकानन्द के भाषण ने विश्व मंच पर भारतीय आध्यात्मिकता की चमक बिखेरी और भारतीय दर्शन को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई। यह सम्मेलन धार्मिक सोच और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक बन गया। 

 स्वामी विवेकानन्द। विश्व धर्म सम्मेलन। 1893 भारतीय आध्यात्मिकता। वैश्विक मंच

11. साइमन रिपोर्ट पर टिप्पणी 

प्रश्न: "यह रिपोर्ट रद्दी कागजों के ढेर में रखने लायक है।" – यह कथन किसके द्वारा कहा गया? 

उत्तर: सर शिवास्वामी अय्यर का। 

व्याख्या: सर शिवास्वामी अय्यर का यह बयान उस समय की नासमझ और अपर्याप्त नीतिगत प्रयासों पर कटाक्ष था। उनके इस कथन में ब्रिटिश प्रशासन के प्रति गहरी नाराजगी झलकती है। 

 साइमन रिपोर्ट। सर शिवास्वामी अय्यर। नीतिगत विफलता। ब्रिटिश प्रशासन

12. गोरखपुर का अग्निकांड 

प्रश्न: असहयोग आंदोलनकारियों ने किस दिन गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर थाने में आग लगा दी थी, जिसमें एक थानेदार सहित 21 पुलिसकर्मी मारे गए थे? 

उत्तर: 5 फरवरी, 1922 ई. को। 

व्याख्या: यह घटना असहयोग आन्दोलन के चरमपंथी दौर को दर्शाती है जहाँ विद्रोह के परिणामस्वरूप हिंसा ने आम जनजीवन को भी प्रभावित किया। यह आंदोलन में विद्रोह और बलिदान की कटु सच्चाई को उजागर करती है। 

 असहयोग आन्दोलन। गोरखपुर अग्निकांड। 1922 पुलिस बल। हिंसात्मक प्रदर्शन

13. महात्मा गांधी की पहली भूख हड़ताल 

प्रश्न: महात्मा गांधी ने पहली बार भूख हड़ताल कब की थी? 

उत्तर: 1918 ई. में अहमदाबाद मिल मजदूरों की हड़ताल के समय। 

व्याख्या: गांधीजी की पहली भूख हड़ताल उनके अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का एक अनिवार्य हिस्सा थी। यह एक शांति पूर्ण विरोध का तरीका था जिससे उन्होंने अन्याय के खिलाफ जागरूकता फैलाई। गांधी की पहली भूख हड़ताल अहिंसक विरोध का एक रणनीतिक कार्य था जिसका उद्देश्य अहमदाबाद मिल मजदूरों के अधिकारों को सुरक्षित करना था। यह तरीका बाद में उनके सत्याग्रह का एक परिभाषित उपकरण बन गया, जो न्याय के लिए कष्ट सहने की उनकी इच्छा को दर्शाता है।

 महात्मा गांधी। भूख हड़ताल। अहमदाबाद हड़ताल। अहिंसा। सत्याग्रह

14. भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रस्ताव 

प्रश्न: कांग्रेस द्वारा भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रस्ताव किसकी अध्यक्षता में पारित किया गया था? 

उत्तर: मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में। 

व्याख्या: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया, जो स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न गुटों को एकजुट करते हुए ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ कार्रवाई का सबसे निर्णायक आह्वान बन गया। मौलाना आजाद का नेतृत्व उस दौर में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उत्कर्ष का प्रतीक था। उनके प्रबुद्ध नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद को चुनौती दी और जनता में राष्ट्रवाद की आग भड़काई।

 भारत छोड़ो आन्दोलन। मौलाना अबुल कलाम आजाद। स्वतंत्रता संग्राम। ब्रिटिश साम्राज्यवाद

15. केंद्रीय विधान सभा में बम फेंकना 

प्रश्न: जब भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 ई. को केन्द्रीय विधान सभा में बम फेंका, उस समय के केंद्रीय विधान सभा के अध्यक्ष कौन थे? 

उत्तर: बिट्ठलभाई पटेल। 

व्याख्या: भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट एक प्रतीकात्मक कृत्य था, जिसका उद्देश्य ध्यान आकर्षित करना और असहमति व्यक्त करना था। यह तथ्य कि यह घटना तत्कालीन अध्यक्ष बिट्ठलभाई पटेल की निगरानी में हुई थी, उस युग के उच्च तनाव को उजागर करता है। यह घटना भारतीय युवाओं के असंतोष और क्रांतिकारी भावना का प्रमाण है। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की इस कार्रवाई ने दूरगामी प्रभाव छोड़ा, जिससे ब्रिटिश प्रशासन पर सख्त कदम उठाने का दबाव बढ़ा। 

 भगत सिंह। बटुकेश्वर दत्त। केंद्रीय विधान सभा। बिट्ठलभाई पटेल। क्रांतिकारी आंदोलन

16. महाराष्ट्र का क्रांतिकारी पत्र 'काल' 

प्रश्न: महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण क्रांतिकारी पत्र 'काल' का संपादन किसने किया था? 

उत्तर: परांजय ने। 

व्याख्या: 'काल' पत्र ने महाराष्ट्र में क्रांतिकारी विचारधारा एवं राष्ट्रीय उत्साह को जागृत किया। इसका संपादन और प्रकाशन उन परिवर्तनों का एक सशक्त माध्यम था जो भारतीय जनता के मन में स्वतंत्रता की आग लगा गए थे। क्रांतिकारी साप्ताहिक "काल" महाराष्ट्र में औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ़ विद्रोह की आवाज़ बन गया। परंजय द्वारा संपादित, इसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी विचारों को फैलाने और जन भावनाओं को जगाने के माध्यम के रूप में काम किया।

'काल' पत्र। महाराष्ट्र क्रांति। परांजय। क्रांतिकारी आन्दोलन

17. 1857 का विद्रोह – मेरठ की पैदल सेना 

प्रश्न: मेरठ की किस पैदल सेना इकाई ने 10 मई, 1857 को विद्रोह की शुरुआत की थी? 

उत्तर: 20 एन.आई. ने। 

व्याख्या: 1857 का विद्रोह, जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है, मेरठ के सैनिकों की शुरुआत से ही एक सैन्य क्रांति का रूप ले चुका था। यह विद्रोह अंग्रेजी शासन के खिलाफ प्रत्यारोपित प्रथम कदम था। मेरठ में 20वीं नेटिव इन्फैंट्री के सिपाहियों ने एक ऐसी आग जलाई जिसे बाद में भारतीय स्वतंत्रता का पहला युद्ध (या 1857 का विद्रोह) के रूप में जाना गया। उनका विद्रोह ब्रिटिश सैन्य और प्रशासनिक प्रथाओं के खिलाफ व्यापक असंतोष का प्रतीक था।

1857 विद्रोह। मेरठ। 20 एन.आई.। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम। सेनानी क्रांति

18. लंदन में इंडियन होम रूल सोसाइटी 

प्रश्न: श्यामजी कृष्ण वर्मा ने लंदन में इंडियन होम रूल सोसाइटी की स्थापना किस वर्ष की थी? 

उत्तर: 1905 ई. में। 

व्याख्या: इस पहल ने भारतीय विचारों और स्वशासन की मांग को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया। वर्मा की यह कार्रवाई भारतीय राष्ट्रीयता के व्यापक प्रसार का प्रारंभिक कदम थी। श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा लंदन में इंडियन होम रूल सोसाइटी की स्थापना ने भारत की स्वशासन की मांग को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इसने भारतीय राष्ट्रवादी उद्देश्य के लिए वैश्विक समुदाय से समर्थन जुटाने में मदद की।

श्यामजी कृष्ण वर्मा। इंडियन होम रूल सोसाइटी। 1905 अंतरराष्ट्रीय भारतीयता

19. हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन 

प्रश्न: 1924 में शचीन्द्र सान्याल ने किस स्थान पर "हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन" की स्थापना की? 

उत्तर: कानपुर में। 

व्याख्या: हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन ने तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तथा क्रांतिकारी गतिविधियों को गति दी। कानपुर में इसकी स्थापना ने क्षेत्रीय प्रतिरोध के मध्य आंदोलन को मजबूती प्रदान की। शचीन्द्र सान्याल द्वारा कानपुर में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन स्वतंत्रता आंदोलन के उग्र तत्वों को संगठित करने में सहायक रहा। इस संगठन का उद्देश्य क्रांतिकारी तरीकों और प्रत्यक्ष कार्रवाई के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करना था।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन। शचीन्द्र सान्याल। कानपुर। क्रांतिकारी संगठन

20. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में 'गढ़वाल राइफल्स' का फैसला 

प्रश्न: किस आंदोलन के दौरान 'गढ़वाल राइफल्स' ने पठान सत्याग्रहियों पर गोली चलाने से मना कर दिया था? 

उत्तर: सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान। 

व्याख्या: यह घटना उस समय की नैतिक दुविधाओं और सैनिकों के मनोबल का उदाहरण है। सैनिकों का आदेश से इंकार करना अंततः उस आंदोलन की नैतिक जीत का प्रतीक बन गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान गढ़वाल राइफल्स द्वारा पठान सत्याग्रहियों पर गोली चलाने से इनकार करना सैनिकों के बीच नैतिक साहस का प्रतीक है। उनका यह निर्णय अहिंसक प्रतिरोध के युद्ध के मैदान में सामना की जाने वाली नैतिक दुविधाओं को दर्शाता है।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन। गढ़वाल राइफल्स। नैतिक दुविधा। सत्याग्रह

21. माउंट बेटन योजना 

प्रश्न: भारत विभाजन की माउंट बेटन योजना किस दिन प्रकाशित हुई थी? 

उत्तर: 3 जून, 1947 ई. को। 

व्याख्या: माउंट बेटन योजना ने भारत के विभाजन की रूपरेखा तैयार की, जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्रता के साथ-साथ विभाजन की विभाजनकारी प्रक्रिया भी प्रारंभ हुई। माउंटबेटन योजना ने भारत के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण का खाका तैयार किया। 3 जून 1947 को प्रकाशित इस प्रस्ताव ने उस प्रक्रिया को गति दी जिसके कारण अंततः स्वतंत्रता और उसके बाद उपमहाद्वीप का विभाजन हुआ।

 माउंट बेटन योजना। विभाजन। 1947 भारत विभाजन। Partition Plan

22. टीपू सुल्तान का वीरगति 

प्रश्न: टीपू सुल्तान अंग्रेजों से लड़ते हुए कब वीरगति को प्राप्त हुए? 

उत्तर: 1799 ई. को। 

व्याख्या: टीपू सुल्तान की वीरगति भारतीय इतिहास में उनके अदम्य साहस और संघर्ष की कहानी कहती है। 1799 में उनकी मृत्यु ने मुहम्मद अली के शासन काल और ब्रिटिश गतिविधियों पर दीर्घकालिक प्रभाव डाला। 1799 में अंग्रेजों के खिलाफ भीषण युद्ध के दौरान टीपू सुल्तान की शहादत को उनके साहस और दृढ़ संकल्प के प्रमाण के रूप में याद किया जाता है। उनकी मृत्यु ने दक्षिण भारत में क्षेत्रीय सत्ता संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया।

 टीपू सुल्तान। वीरगति। 1799 मुहम्मद अली। भारतीय संघर्ष

23. बंगाल के नवाब की राजधानी का परिवर्तन 

प्रश्न: बंगाल के किस नवाब ने अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थानांतरित की थी? 

उत्तर: मीर कासिम ने। 

व्याख्या: मीर कासिम का यह निर्णय बंगाल के प्रशासनिक और रणनीतिक परिवर्तनों को दर्शाता है। उनके इस कदम ने व्यापारिक और राजनीतिक नीतियों पर गहरा प्रभाव डाला। नवाब मीर कासिम ने अपनी शक्ति को मजबूत करने और प्रशासनिक मामलों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के प्रयास में मुर्शिदाबाद से अपनी राजधानी मुंगेर स्थानांतरित कर दी। यह निर्णय औपनिवेशिक युग के दौरान विकसित हो रही राजनीतिक और आर्थिक रणनीतियों को भी दर्शाता है।

 मीर कासिम। बंगाल नवाब। राजधानी परिवर्तन। मुंगेर। प्रशासनिक रणनीति

24. भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा में सहयोग 

प्रश्न: भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा में सबसे अधिक सहयोग किसने किया? 

उत्तर: बड़ौदा के महाराजा ने। 

व्याख्या: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के प्रारम्भिक जीवन में बड़ौदा के महाराजा द्वारा मिले सहयोग ने उनके शैक्षिक और सामाजिक सुधारात्मक प्रयासों को बल दिया, जिससे वे बाद में भारत के संविधान निर्माता के रूप में उभरे।

 भीमराव अम्बेडकर। महाराजा। शिक्षा सहयोग। सामाजिक सुधार। संविधान

25. महाराष्ट्र में 'गणपति उत्सव' का आरंभ 

प्रश्न: महाराष्ट्र में 'गणपति उत्सव' शुरू करने का श्रेय किसको प्राप्त होता है? 

उत्तर: बाल गंगाधर तिलक को। 

व्याख्या: तिलक ने सांस्कृतिक जगत में एकता और राष्ट्रीयता के बीज बोए। ’गणपति उत्सव’ ने न केवल धार्मिक आस्था को व्यक्त किया, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता का भी एक माध्यम बनकर उभरा। बाल गंगाधर तिलक को गणपति उत्सव को न केवल धार्मिक उत्सव के रूप में लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति को प्रेरित करने के साधन के रूप में भी जाना जाता है। उनके प्रयासों ने इस उत्सव को सांस्कृतिक और राजनीतिक कायाकल्प के प्रतीक में बदल दिया।

 बाल गंगाधर तिलक। गणपति उत्सव। महाराष्ट्र। राष्ट्रीयता। सांस्कृतिक जागरूकता

26. 'जाटों का प्लेटो' 

प्रश्न: निम्नलिखित में से किसे 'जाटों का प्लेटो' कहा जाता था? 

उत्तर: सूरजमल को। 

व्याख्या: सूरजमल ने जाट समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और उनके योगदान को देखते हुए उन्हें यह उपाधि दी गई। यह उनके नेतृत्व एवं संघर्ष की मिसाल है।  सूरजमल के नेतृत्व और जाट समुदाय के हितों का प्रतिनिधित्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण उन्हें “जाटों का प्लेटो” उपनाम दिया गया। उनकी राजनीतिक सूझबूझ और अपने लोगों के कल्याण के प्रति समर्पण ने क्षेत्रीय इतिहास में एक स्थायी विरासत छोड़ी।

 सूरजमल। जाट नेता। 'जाटों का प्लेटो' क्षेत्रीय राजनीति

27. अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना 

प्रश्न: 1932 में 'अखिल भारतीय हरिजन संघ' की स्थापना किसने की थी? 

उत्तर: महात्मा गांधी ने। 

व्याख्या: गांधीजी ने हरिजन समुदाय के उत्थान पर विशेष ध्यान दिया और इस संघ की स्थापना उनके समावेशी दृष्टिकोण का प्रमाण है, जिसने सामाजिक असमानताओं को चुनौती दी। सामाजिक न्याय के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के साथ, महात्मा गांधी ने दलित समुदाय के उत्थान के लिए अखिल भारतीय हरिजन सभा की स्थापना की। यह कदम जातिगत भेदभाव की असमानताओं से मुक्त एक समावेशी समाज के लिए उनके व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा था।

 हरिजन संघ। महात्मा गांधी। सामाजिक सुधार। समावेशिता। 1932

28. अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा में पहल 

प्रश्न: किस भारतीय ने सबसे पहले अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा लागू कराने हेतु सदन में विधेयक पेश किया? 

उत्तर: गोपाल कृष्ण गोखले ने। 

व्याख्या: गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के लिए विधेयक पेश करने की पहल ने शिक्षा को राष्ट्र निर्माण की आधारशिला के रूप में उनके विश्वास को उजागर किया। उनके प्रयासों ने भारत में बाद के शैक्षिक सुधारों के लिए आधार तैयार किया। गोखले के इस प्रयास ने शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का मूल स्तंभ माना। यह कदम ब्रिटिश शासन के अंतर्विरोध को चुनौती देते हुए भारतीय समाज में एक नवीन सुधार की दिशा में पहला कदम था। 

 अनिवार्य शिक्षा। गोपाल कृष्ण गोखले। शिक्षा सुधार। सामाजिक परिवर्तन

29. 'बिना ताज का बादशाह' 

प्रश्न: किस व्यक्ति को 'बिना ताज का बादशाह' कहा जाता है? 

उत्तर: सुरेंद्रनाथ बनर्जी को। 

व्याख्या: सुरेंद्रनाथ बनर्जी की 'बिना ताज का बादशाह' उपाधि उनके असली नेतृत्व गुणों और जनता के बीच उनकी अपार लोकप्रियता का प्रतीक है। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी को "बिना ताज का बादशाह" की उपाधि दी गई, जो औपचारिक शाही एकाधिकार न होने के बावजूद भारतीय राजनीति में उनके ऊंचे कद को दर्शाता है। उनके व्यापक प्रभाव और नेतृत्व ने उन्हें अपने समकालीनों के बीच एक सम्मानित व्यक्ति बना दिया।

सुरेंद्रनाथ बनर्जी। 'बिना ताज का बादशाह' नेतृत्व। लोकप्रियता

30. धन के निष्कासन का तात्पर्य 

प्रश्न: भारत में 'धन के निष्कासन' से क्या तात्पर्य है? 

उत्तर: भारत से बाहर जाने वाले पैसे के बदले में कुछ भी न मिलना।  

व्याख्या: 'धन का निष्कासन' अवधारणा विस्तार से बताती है कि किस प्रकार भारतीय आर्थिक संसाधनों का दोहन किया जाता रहा है, जहाँ धन का प्रवाह निरंतर भारत से बाहर होता रहा, बिना किसी प्रत्यक्ष लाभ के। 'धन का निष्कासन' शब्द उस आर्थिक बर्बादी को दर्शाता है जिसमें भारत में कमाया गया पैसा देश को उचित रिटर्न नहीं देता बल्कि विदेशी ताकतों को समृद्ध बनाता है। यह औपनिवेशिक शासन के तहत भारत के संसाधनों के शोषण को उजागर करता है।

धन निष्कासन। आर्थिक शोषण। विदेशी निकासी। भारतीय अर्थव्यवस्था

31. ‘इण्डिपेन्डेन्स’ समाचार पत्र का प्रकाशन 

प्रश्न: 'इण्डिपेन्डेन्स' नामक समाचार पत्र का प्रकाशन किसने प्रारंभ किया? 

उत्तर: पंडित मोती लाल नेहरू ने। 

व्याख्या: इण्डिपेन्डेन्स’ समाचार पत्र का शुभारंभ करने से स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनमत निर्माण और सूचनात्मक जागरूकता को बल मिला। यह मीडिया के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनमत को आकार देने में समाचार पत्र “इंडिपेंडेंस” की शुरुआत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पत्रकारिता के क्षेत्र में पंडित मोतीलाल नेहरू की पहल ने पूरे देश में राष्ट्रवादी भावनाओं को संगठित करने में मदद की।

इण्डिपेन्डेन्स समाचार पत्र। पंडित मोती लाल नेहरू। मीडिया। स्वतंत्रता संग्राम। जनमत निर्माण

32. "इंडिया टुडे" – कांग्रेस की स्थापना पर कथा 

प्रश्न: "कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश सरकार की पूर्व निर्धारित गुप्त योजना के अनुसार की गई थी।" यह किस किताब में लिखा है? 

उत्तर: इंडिया टुडे नामक किताब में। 

व्याख्या: यह कथन एक विवादास्पद दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद के पीछे छिपी रणनीतियों पर सवाल उठाता है। समीक्षा करने पर यह पता चलता है कि कैसे कुछ इतिहासकारों ने कांग्रेस की स्थापना को एक षड्यंत्र के रूप में देखा। "इंडिया टुडे" पुस्तक में पाया गया यह विवादास्पद दावा कांग्रेस की उत्पत्ति के बारे में व्यापक रूप से प्रचलित दृष्टिकोण पर सवाल उठाता है। यह पाठकों को औपनिवेशिक आख्यानों की फिर से जांच करने और भारतीय राजनीतिक इतिहास की अधिक सूक्ष्म समझ को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करता है।

इंडिया टुडे। कांग्रेस स्थापना। उपनिवेशवाद। षड्यंत्र सिद्धांत। इतिहास समीक्षा

33. हाउस ऑफ लॉर्ड्स का गौरव 

प्रश्न: ब्रिटेन के 'हाउस ऑफ लॉर्ड्स' ने किस ब्रिटिश अधिकारी को ब्रिटिश साम्राज्य का शेर कहा था? 

उत्तर: जनरल डायर को। 

व्याख्या: जनरल डायर के ये शब्द उनके अभियान और ब्रिटिश सैन्य नीति की कटुता को दर्शाते हैं। इस बयान में उनकी वीरता की प्रशंसा की गई, जो उस दौर की सैनिक मानसिकता को उजागर करता है। जनरल डायर को ब्रिटिश साम्राज्य का “शेर” कहना सैन्य शक्ति और विद्रोहों के क्रूर दमन दोनों के साथ उनके जुड़ाव को रेखांकित करता है। उनके कार्य ब्रिटिश साम्राज्यवादी नीतियों के विवादास्पद प्रतीक बन गए।

जनरल डायर। हाउस ऑफ लॉर्ड्स। ब्रिटिश साम्राज्य। सैन्य नीति। वीरता

34. इंडिया इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना 

प्रश्न: 'इंडिया इंडिपेंडेंस लीग' की स्थापना किसने की? 

उत्तर: रासबिहारी बोस ने। 

व्याख्या: रासबिहारी बोस के इस कदम ने भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन में एक नया आयाम जोड़ा। इस लीग ने तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य में स्वतंत्रता की मांग को और तेज किया। 

 इंडिया इंडिपेंडेंस लीग। रासबिहारी बोस। क्रांतिकारी आंदोलन। स्वतंत्रता

35. नमक सत्याग्रह की तुलना 

प्रश्न: गांधीजी के नमक सत्याग्रह की तुलना किस व्यक्ति ने नेपोलियन की पेरिस यात्रा से की थी? 

उत्तर: सुभाष चंद्र बोस ने। 

व्याख्या: गांधी की नमक यात्रा की तुलना नेपोलियन के पेरिस अभियान से करके, सुभाष चंद्र बोस ने भारत के अहिंसक प्रतिरोध के वैश्विक निहितार्थों पर जोर दिया। यह इस बात का प्रतिबिंब था कि कैसे प्रतीकात्मक अवज्ञा के कार्य कई मोर्चों पर स्थापित शक्तियों को चुनौती दे सकते हैं। सुभाष चंद्र बोस का यह कथन गांधीजी के सामरिक और प्रतीकात्मक आंदोलन की तुलना ऐतिहासिक और वैश्विक संदर्भ में करने का प्रयास है। यह तुलना उनके निरेख और दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाती है। 

 नमक सत्याग्रह। सुभाष चंद्र बोस। नेपोलियन। पेरिस यात्रा। क्रांतिकारी तुलना

36. शारदा अधिनियम 

प्रश्न: हरविलास शारदा द्वारा प्रस्तावित अधिनियम, जिसे आमतौर पर 'शारदा अधिनियम' कहा जाता है, क्या था? 

उत्तर: बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 1929 

व्याख्या: 'शारदा अधिनियमसमाज में बाल विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध एक सामाजिक सुधार की पहल था, जिससे युवा पीढ़ी के हित की रक्षा हो सके। शारदा अधिनियम एक सामाजिक सुधार उपाय था जिसका उद्देश्य बाल विवाह को रोकना था। 1929 में अधिनियमित, यह भारतीय समाज में युवा लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाए गए शुरुआती विधायी कदमों में से एक था।

शारदा अधिनियम। बाल विवाह निरोधक अधिनियम। सामाजिक सुधार। 1929

37. 'शिमला के सन्यासी' 

प्रश्न: 'शिमला के सन्यासी' के नाम से किसे प्रसिद्धि मिली? 

उत्तर: ए.ओ. ह्यूम को। 

व्याख्या: ए.ओ. ह्यूम को 'शिमला के सन्यासी' की उपाधि एक विरोधाभासी पहचान को दर्शाती है, जहाँ एक ब्रिटिश सुधारवादी और कांग्रेस संस्थापक को सन्यासी के रूप में संदर्भित किया गया। यह उनके व्यक्तित्व की जटिलता एवं उनके योगदान के विविध पहलुओं को उजागर करता है। यह उपाधि, हालांकि विरोधाभासी है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ. ह्यूम को प्रदान की गई थी, जो औपनिवेशिक नीतियों के साथ उनके आलोचनात्मक जुड़ाव और एक सुधारवादी और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहासकार के रूप में उनकी पहचान के कई पहलुओं को उजागर करती है। 

 ए.ओ. ह्यूम। शिमला के सन्यासी। भारतीय राजनीति। सुधारवादी

38. वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट का समापन 

प्रश्न: किस वायसराय ने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को समाप्त कर दिया था? 

उत्तर: लॉर्ड रिपन ने। 

व्याख्या: वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को निरस्त करके लॉर्ड रिपन ने औपनिवेशिक नीति में एक अधिक उदार चरण की शुरुआत की, जिसने भारतीय प्रेस को अधिक स्वतंत्रता दी। यह निर्णय एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण था, जहाँ भारतीय आवाज़ें औपनिवेशिक शासन के खिलाफ़ खुलकर असहमति व्यक्त कर सकती थीं। लॉर्ड रिपन की उदार नीतियों ने भारतीय प्रेस की आज़ादी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। इस फैसले का उद्देश्य देश के लोगों को सूचनाओं के आदान-प्रदान में अधिक स्वतंत्रता प्रदान करना था। 

 वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट। लॉर्ड रिपन। प्रेस आज़ादी। उदार शासन

39. हिन्दुस्तान तलवार 

प्रश्न: "हिन्दुस्तान तलवार के ज़ोर पर जीता गया था।" यह कथन किसका है? 

उत्तर: लॉर्ड एल्गिन का। 

व्याख्या:  लॉर्ड एल्गिन का बयान "हिन्दुस्तान तलवार के ज़ोर पर जीता गया था।" औपनिवेशिक संघर्ष के दौरान भारतीयों की सैन्य शक्ति को मान्यता देने के लिए था। हालाँकि यह ब्रिटिश दृष्टिकोण से आया है, लेकिन यह भारतीय वीरता के औपनिवेशिक मूल्यांकन में निहित सम्मान और विनम्रता के जटिल अंतर्संबंध को रेखांकित करता है। लॉर्ड एल्गिन की यह प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि उन्होंने भारतीय शौर्य और सामरिक क्षमता की सराहना की। यह कथन ब्रिटिश प्रशासित काल में भारतीय वीरता के प्रतीक स्वरूप उभरता है। 

 लॉर्ड एल्गिन। हिन्दुस्तान। शौर्य। भारतीय वीरता

40. गोवा पर पुर्तगाली अधिकार 

प्रश्न: वह पुर्तगाली कौन था जिसने गोवा पर अधिकार कर लिया था? 

उत्तर: अल्फांसो डी अल्बुकर्क। 

व्याख्या: अल्फोंसो डी अल्बुकर्क की गोवा पर विजय एक निर्णायक क्षण था जिसने भारत में सदियों पुराने पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन की शुरुआत की। उनकी सैन्य कुशलता और प्रशासनिक सुधारों ने इस क्षेत्र पर एक स्थायी सांस्कृतिक और स्थापत्य छाप छोड़ी। अल्फांसो डी अल्बुकर्क के अधीन गोवा ने पुर्तगाली उपनिवेशी शासन के तहत नया आयाम पाया। उनके द्वारा स्थापित प्रशासनिक और सैन्य नीतियाँ आज भी इतिहास में चर्चा का विषय हैं। 

 अल्फांसो डी अल्बुकर्क। गोवा। पुर्तगाली शासन। उपनिवेशी भारत

41. ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रथम गवर्नर जनरल 

प्रश्न: भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रथम गवर्नर जनरल कौन था? 

उत्तर: वॉरेन हेस्टिंग्स। 

व्याख्या: भारत के पहले गवर्नर जनरल के रूप में वॉरेन हेस्टिंग्स की नियुक्ति ने एक संरचित ब्रिटिश प्रशासन की शुरुआत को चिह्नित किया। उनके कार्यकाल ने प्रशासनिक और न्यायिक नींव रखी जो दशकों तक औपनिवेशिक नीति को प्रभावित करेगी। वॉरेन हेस्टिंग्स की नियुक्ति ने ब्रिटिश प्रशासन की नींव रखने के साथ ही भारतीय शासन प्रणाली में कई परिवर्तन करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध किया। 

 वॉरेन हेस्टिंग्स। ईस्ट इंडिया कंपनी। प्रथम गवर्नर जनरल। ब्रिटिश प्रशासन

42. भारत में पहला व्यापारिक विस्तार 

प्रश्न: किस यूरोपीय देश ने भारत में सबसे पहले अपना व्यापार बढ़ाया? 

उत्तर: पुर्तगाल ने। 

व्याख्या: पुर्तगाली भारत में यूरोपीय व्यापार विस्तार के अग्रदूत थे। उनके आगमन और व्यापारिक चौकियों की स्थापना ने नए समुद्री मार्ग खोले और आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक लंबा इतिहास शुरू किया। पुर्तगाली व्यापारिक प्रयासों ने भारत में समुद्री मार्गों के विकास और आर्थिक संपर्कों की नींव रखी। यह उनके द्वारा स्थापित व्यापारिक नेटवर्क का पहला कदम था। 

 पुर्तगाल। व्यापारिक विस्तार। समुद्री मार्ग। यूरोपीय उपनिवेशवाद

43. वास्कोडिगामा का आगमन 

प्रश्न: वास्कोडिगामा भारत कब आया था? 

उत्तर: 1498 ई. में। 

व्याख्या: 1498 में वास्कोडिगामा के भारत आगमन ने यूरोप और एशिया को समुद्र के रास्ते सीधे जोड़कर वैश्विक व्यापार में क्रांति ला दी। इस ऐतिहासिक यात्रा ने भारतीय उपमहाद्वीप के साथ निरंतर यूरोपीय जुड़ाव की शुरुआत की। वास्कोडिगामा का आगमन उस दौर की वैश्विक समुद्री खोजों का प्रतीक है, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप और यूरोप के बीच व्यापारिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को रोमांचित किया।

वास्कोडिगामा। 1498 समुद्री खोज। भारत आगमन। पुर्तगाली अन्वेषण

44. वास्कोडिगामा की उतरण स्थली 

प्रश्न: वास्कोडिगामा भारत में किस स्थान पर उतरा था? 

उत्तर: केरल के कालीकट बंदरगाह पर। 

व्याख्या: केरल के कालीकट (वर्तमान कोझिकोड) बंदरगाह पर वास्कोडिगामा का आगमन भारत में प्रवेश का एक महत्वपूर्ण बिंदु बन गया। इस घटना ने भारत और यूरोप के बीच बाद के व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की नींव रखी। वास्कोडिगामा के कालीकट में उतरने से भारत के दक्षिणी समुद्री राज्य का वैश्विक मानचित्र पर प्रवेश हुआ, जिसने भारतीय इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में काम किया।

कालीकट। केरल। वास्कोडिगामा। भारतीय बंदरगाह। समुद्री इतिहास

45. वास्कोडिगामा का देश 

प्रश्न: वास्कोडिगामा कहाँ का रहने वाला था? 

उत्तर: पुर्तगाल का। 

व्याख्या: पुर्तगाल के मूल निवासी के रूप में, वास्कोडिगामा यूरोपीय अन्वेषण की भावना के प्रतीक थे। उनकी यात्राओं ने न केवल पुर्तगाल की समुद्री शक्ति को बढ़ाया, बल्कि वैश्विक व्यापार और उपनिवेशीकरण के मार्ग को भी प्रभावित किया। उनकी पुर्तगाली नागरिकता और देश के प्रति निष्ठा ने उन्हें उन महानतम अन्वेषकों में शामिल किया, जिनके प्रयासों ने वैश्विक व्यापारिक मार्ग बदल दिए।

पुर्तगाल। वास्कोडिगामा। अन्वेषण। यूरोपीय खोज। पुर्तगाली नागरिकता

46. जहाँगीर के दरबार में भेंट 

प्रश्न: किस अंग्रेज ने सम्राट जहाँगीर के दरबार में आकर भेंट की थी? 

उत्तर: सर टॉमस रो ने। 

व्याख्या: सर थॉमस रो की सम्राट जहाँगीर के दरबार की यात्रा मुगल दरबार के साथ ब्रिटिश कूटनीतिक जुड़ाव के शुरुआती उदाहरणों में से एक थी। इस मुलाकात ने अंततः दोनों साम्राज्यों के बीच अधिक संरचित संबंधों और व्यापार का मार्ग प्रशस्त किया। सर टॉमस रो का यह दौरा भारतीय व्यावसायिक और राजनीतिक व्यवस्थाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण था। उनके द्वारा लिखे गए विवरण ने भविष्य में अंग्रेजी व्यापारिक नीतियों के विकास में योगदान दिया। 

 सर टॉमस रो। जहाँगीर। मुग़ल दरबार। अंग्रेजी दौरा। भारतीय राजनीति

47. पुर्तगाली उपनिवेश 

प्रश्न: गोवा, दमन और द्वीव को किसने उपनिवेश बनाया था? 

उत्तर: पुर्तगालियों ने। 

व्याख्या: पुर्तगालियों द्वारा गोवा, दमन और दीव में उपनिवेशों की स्थापना से यूरोपीय सांस्कृतिक, प्रशासनिक और धार्मिक प्रभाव उत्पन्न हुए, जो आज भी इन क्षेत्रों में विभिन्न रूपों में विद्यमान हैं।इन क्षेत्रों के उपनिवेशीकरण ने भारतीय संस्कृति में पुर्तगाली प्रभावों को अंकित किया, जिसे आज भी स्थानीय परंपराओं और वास्तुकला में देखा जा सकता है। 

 पुर्तगाल। गोवा। दमन। द्वीव। उपनिवेशीकरण

48. पहली कंपनी स्थापना की अनुमति 

प्रश्न: अंग्रेजों ने अपनी प्रथम कंपनी स्थापित करने की अनुमति किससे प्राप्त की थी? 

उत्तर: मुगल बादशाह जहाँगीर से। 

व्याख्या: अंग्रेजों ने सम्राट जहांगीर से व्यापारिक चौकी स्थापित करने की आधिकारिक अनुमति प्राप्त की - यह एक ऐसा कदम था जो मुगल साम्राज्य और यूरोपीय लोगों के बीच सीधे वाणिज्यिक संबंधों की शुरुआत का प्रतीक था। इस घटना ने औपनिवेशिक शासन के तहत भारतीय व्यापार के आमूलचूल परिवर्तन के लिए मंच तैयार किया। यह अनुमति मुग़ल सत्ता और ब्रिटिश व्यापारिक महत्वाकांक्षाओं के बीच एक समझौते का परिणाम थी, जिसने आगे चलकर उपनिवेशी व्यापार के लिए मार्ग प्रशस्त किया। 

 मुगल बादशाह। जहाँगीर। पहली कंपनी। व्यापारिक समझौता। ब्रिटिश-भारतीय संबंध

49. पहली फैक्ट्री का स्थान 

प्रश्न: अंग्रेजों ने अपनी प्रथम फैक्ट्री कहाँ स्थापित की थी? 

उत्तर: सूरत में। 

व्याख्या: सूरत में अपना पहला कारखाना स्थापित करके, अंग्रेजों ने भारतीय व्यापार के ताने-बाने में अपने वाणिज्यिक नेटवर्क को बुनना शुरू कर दिया। बंदरगाह शहर के रूप में सूरत का रणनीतिक महत्व इसे शुरुआती व्यापार चौकियों की स्थापना के लिए आदर्श बनाता है, जिसने अंततः ब्रिटिश आर्थिक और राजनीतिक हितों को बढ़ाया। सूरत का बंदरगाह पहले से ही व्यापारिक हब था, और यहाँ फैक्ट्री की स्थापना से अंग्रेजों ने भारतीय वाणिज्यिक दुनिया में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। 

 सूरत। पहली फैक्ट्री। व्यापारिक हब। अंग्रेजी फैक्ट्री। वाणिज्यिक विस्तार

50. समुद्री मार्ग की खोज 

प्रश्न: भारत के समुद्री मार्ग की खोज किसने की थी? 

उत्तर: पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा ने। 

व्याख्या: वास्कोडिगामा की ऐतिहासिक यात्रा को भारत के लिए सीधा समुद्री मार्ग खोजने का श्रेय दिया जाता है। उनके साहसिक अभियान ने वैश्विक व्यापार में क्रांति ला दी, यूरोप और एशिया के बाजारों को जोड़ा और विश्व इतिहास की दिशा बदल दी। वास्कोडिगामा की यह समुद्री यात्रा ने यूरोप और भारत के बीच प्रत्यक्ष समुद्री संपर्क स्थापित किए, जिससे वैश्विक व्यापारिक नेटवर्क में क्रांतिकारी परिवर्तन आया।

समुद्री मार्ग। वास्कोडिगामा। पुर्तगाली अन्वेषक। भारतीय समुद्री इतिहास। वैश्विक व्यापार

 निष्कर्ष

इस 50-प्रश्नों का संकलन हमें न केवल महत्वपूर्ण तिथियों व घटनाओं की याद दिलाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि किस प्रकार विभिन्न पहलुओं—राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक—में एक दूसरे से गहरा संबंध है। प्रत्येक प्रश्न और उसका विस्तृत व्याख्यान हमें सीखने, सोचने और समझने के लिए प्रेरित करता है।

यदि आप आधुनिक भारतीय इतिहास में रुचि रखते हैं, तो इस तरह के विस्तार से लिखे गए प्रश्न उत्तर आपको परीक्षा, शोध या अपने व्यक्तिगत ज्ञानवर्धन में सहायक साबित होंगे। आओ, इतिहास के पन्नों में छिपी कहानियों को उजागर करें और राष्ट्र की विरासत को समझें।

इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम आधुनिक भारत के इतिहास की उन जटिलताओं और बहुआयामी घटनाओं को समझते हैं, जिन्होंने आजादी के संघर्ष को आकार दिया। आपकी प्रतिक्रिया और विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं।

Happy Learning!

 

 

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