फेड मीटिंग से पहले आईटी शेयरों में उछाल से निफ्टी 50 25,000 के पार

फेड मीटिंग से पहले आईटी शेयरों में उछाल से निफ्टी 50 25,000 के पार

भारतीय बाजारों में ऐतिहासिक उछाल: आईटी शेयरों की धूम और जेक्सन होल की अहमियत

भारतीय शेयर बाजार इन दिनों एक नए रिकॉर्ड की ओर अग्रसर हैं, जहाँ निफ्टी 50 ने हाल ही में 25,000 के महत्वपूर्ण आंकड़े को पार कर लिया है। यह सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि निवेशकों के बढ़ते आत्मविश्वास, प्रमुख क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन और वैश्विक आर्थिक संकेतों के प्रति बाजार की संवेदनशीलता का प्रतीक है। इस रैली को खास तौर पर प्रौद्योगिकी (आईटी) शेयरों ने गति दी है, जो अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी जेक्सन होल संगोष्ठी से पहले निवेशकों की स्थिति को दर्शाता है।


भारतीय बाजारों की रिकॉर्ड तोड़ रफ्तार: निफ्टी 50 ने छुआ 25,000 का स्तर

बुधवार को भारतीय इक्विटी बेंचमार्क ने लगातार पाँचवें सत्र में अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा, जिसमें निफ्टी 50 ने तीन सप्ताह से अधिक समय में पहली बार 25,000 के महत्वपूर्ण निशान को पार किया। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। बीएसई सेंसेक्स 213 अंकों की बढ़त के साथ 81,857 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 70 अंकों की बढ़त के साथ 25,051 पर जा पहुँचा। यह उछाल 20 अगस्त, 2025 को दर्ज किया गया, जब बाजार में आईटी शेयरों में जोरदार खरीदारी देखने को मिली। इस तेजी के कारण बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में लगभग ₹2 लाख करोड़ का इजाफा हुआ, जो निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।


आईटी शेयरों का दमदार प्रदर्शन: बाजार का इंजन

बाजार में यह तेजी मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी शेयरों में जोरदार खरीदारी से प्रेरित थी। निफ्टी आईटी इंडेक्स में 2.69 प्रतिशत की जोरदार बढ़त दर्ज की गई, क्योंकि निवेशकों ने सप्ताह के अंत में होने वाले फेडरल रिजर्व के जेक्सन होल संगोष्ठी से पहले अपनी स्थिति मजबूत की। भारत की प्रमुख आईटी कंपनियाँ, इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), शीर्ष पर रहीं, जिनमें क्रमशः 3.83 प्रतिशत और 2.61 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई

सूचना प्रौद्योगिकी शेयरों ने कारोबार पर अपना दबदबा बनाए रखा, क्योंकि निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित दर कटौती की उम्मीद कर रहे थे। सीएनबीसी-टीवी18 के अनुसार, बड़े-कैप आईटी नामों में खरीदारी की रुचि "संभावित डील जीत के आसपास आशावाद" के बाद आई, जबकि व्यापक क्षेत्र को इस उम्मीद से फायदा हुआ कि अमेरिकी ब्याज दरों में कमी से ग्राहक खर्च में जान आ सकती है। टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और विप्रो ने भी आईटी क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन में योगदान दिया। विश्लेषकों का मानना है कि फेड चेयर जेरोम पॉवेल का 'डोविश' (नरम) रुख प्रौद्योगिकी शेयरों के लिए और अधिक सकारात्मक गति प्रदान कर सकता है। फेडरल रिजर्व की अधिक उदार मौद्रिक नीति से भारतीय आईटी फर्मों द्वारा ग्राहक खर्च को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे प्रौद्योगिकी शेयरों में सकारात्मक गति मजबूत होगी। भारतीय आईटी कंपनियाँ अमेरिकी ग्राहकों से महत्वपूर्ण राजस्व प्राप्त करती हैं, जिससे अमेरिकी मौद्रिक नीति उनके प्रदर्शन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।


व्यापक बाजार की मजबूती: सिर्फ आईटी नहीं, हर सेक्टर में उछाल

बाजार की यह रैली सिर्फ प्रौद्योगिकी तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि व्यापक-आधारित बाजार की मजबूती भी देखी गई। सत्र के दौरान 142 शेयरों ने अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर को छुआ। मारुति सुजुकी इंडिया, जेएसडब्ल्यू स्टील, अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज, मैरिको, टीवीएस मोटर कंपनी और अल्ट्राटेक सीमेंट जैसे प्रमुख शेयरों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया।

उपभोक्ता वस्तु कंपनियों ने भी बढ़त हासिल की, जिसमें निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स में 1.39 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह वृद्धि इस उम्मीद पर आधारित थी कि प्रस्तावित जीएसटी सुधारों से मांग को बढ़ावा मिल सकता है। हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले इंडिया इस क्षेत्र में शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में से थीं। व्यापक बाजारों ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया, जिसमें निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स में 0.46 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.46 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उपभोक्ता वस्तुओं, ऑटोमोबाइल और सीमेंट शेयरों ने भी मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स के साथ बढ़त हासिल की। यह दर्शाता है कि बाजार की मजबूती व्यापक थी और विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई थी।


जेक्सन होल आर्थिक संगोष्ठी: वैश्विक वित्तीय नीति का केंद्र बिंदु

बाजार भागीदार आगामी फेडरल रिजर्व संगोष्ठी पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं, जहाँ अध्यक्ष जेरोम पॉवेल से भविष्य की मौद्रिक नीति पर स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करने की उम्मीद है। यह संगोष्ठी भारतीय बाजारों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, खासकर आईटी कंपनियों के लिए, क्योंकि उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी ग्राहकों से आता है।

जेक्सन होल संगोष्ठी का परिचय:

जेक्सन होल आर्थिक संगोष्ठी संयुक्त राज्य अमेरिका के वायोमिंग राज्य के जेक्सन होल शहर में हर साल आयोजित की जाने वाली एक महत्वपूर्ण बैठक है। इस संगोष्ठी में दुनिया के प्रमुख केंद्रीय बैंकर्स, वित्तीय विशेषज्ञ, शोधकर्ता और नीति निर्माता एक साथ मिलते हैं और आर्थिक नीतियों तथा वित्तीय स्थिरता पर चर्चा करते हैं। इसे वैश्विक आर्थिक और मौद्रिक नीति के लिए एक मंच माना जाता है, जहाँ से निकलने वाले नीतिगत संकेतों का प्रभाव दुनियाभर के बाजारों और अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है। यह संगोष्ठी विशेष रूप से अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष के भाषणों के कारण सुर्खियों में रहती है, क्योंकि वहाँ से वित्तीय नीतियों में प्रमुख बदलाव के संकेत मिलते हैं।

इतिहास और महत्व:

1978 में शुरू हुई इस संगोष्ठी का मूल उद्देश्य कृषि अर्थशास्त्र के विषय पर चर्चा करना था। बाद में इसे 1981 में जेक्सन होल, वायोमिंग में स्थायी रूप से स्थानांतरित कर दिया गया। इसके पीछे एक रोचक कारण यह था कि तत्कालीन फेडरल रिजर्व अध्यक्ष पॉल वोल्कर के लिए यह जगह मछली पकड़ने के लिए आरामदायक थी।

समय के साथ यह बैठक एक प्रभावशाली वैश्विक मंच बन गई, जहाँ केंद्रीय बैंकर्स और नीति निर्माता एकत्रित होकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में उत्पन्न चुनौतियों और नीतिगत विकल्पों पर विचार-विमर्श करते हैं। इन विचार-विमर्श का केंद्र बिंदु मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, आर्थिक विकास, वित्तीय स्थिरता और वैश्विक व्यापार के मुद्दे होते हैं। यह संगोष्ठी विश्व भर के वित्तीय बाजारों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण संकेतों का स्रोत बन गई है, जिससे यह केंद्रीय बैंकिंग समुदाय के कैलेंडर में एक अनिवार्य घटना बन गई है।

2025 का जेक्सन होल सम्मेलन: विषय और दृष्टिकोण:

2025 की जेक्सन होल आर्थिक संगोष्ठी का मुख्य विषय "श्रम बाजारों में परिवर्तन: जनसांख्यिकी, उत्पादनशीलता, और व्यापक आर्थिक नीति" (Changes in Labor Markets: Demographics, Productivity, and Macroeconomic Policy) है। इस विषय के अंतर्गत यह विश्लेषण किया जाएगा कि किस प्रकार जनसांख्यिकी परिवर्तन, जैसे आबादी की वृद्धावस्था, और उत्पादन बढ़ाने की क्षमता, आर्थिक विकास और श्रम बाज़ार की संरचना को प्रभावित कर रहे हैं।

यह विषय इस समय इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि कई विकसित और विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धावस्था से जुड़ी चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, जो श्रमिकों की कम संख्या, सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव और रोजगार के पैटर्न में बड़े बदलाव का कारण बन रही हैं। इस संदर्भ में, वैश्विक केंद्रीय बैंक और वित्तीय संस्थान ऐसे उपायों की खोज कर रहे हैं जो आर्थिक स्थिरता और सतत विकास सुनिश्चित कर सकें। यह चर्चाएँ वैश्विक नीति निर्माताओं को भविष्य की आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए नई रणनीतियाँ विकसित करने में मदद करेंगी।

जेक्सन होल सम्मेलन में शामिल मुख्य प्रतिभागी:

जैकसन होल आर्थिक संगोष्ठी में विश्व के लगभग 40 देशों के केंद्रीय बैंकर्स, वित्त मंत्रियों, अर्थशास्त्रियों और प्रमुख वित्तीय बाजार विशेषज्ञ शामिल होते हैं। फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल इस सम्मेलन के मुख्य वक्ता होते हैं, जिनके भाषणों का वैश्विक बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है

साथ ही यूरोपीय सेंट्रल बैंक की अध्यक्ष क्रिस्टीन लागार्ड, बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर एंड्रयू बेइली और बैंक ऑफ कनाडा के प्रमुख टिफ मैकमल जैसे अन्य विश्वस्तरीय केंद्रीय बैंकर्स भी इस संगोष्ठी में भाग लेते हैं। इसके अलावा, वित्तीय बाजार के निवेशक, विश्लेषक और पत्रकार भी इस मंच की सामग्री पर बारीकी से नजर रखते हैं, क्योंकि यहाँ से निकलने वाले संकेत उनके निवेश निर्णयों और बाजार की भविष्य की चाल को प्रभावित कर सकते हैं।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर:

जैकसन होल के परिणामस्वरूप निकलने वाले संकेत, विशेषकर फेडरल रिजर्व अध्यक्ष के भाषण, वित्तीय बाजारों में ब्याज दरों, मुद्रास्फीति की उम्मीदों और निवेश प्रवृत्तियों को प्रभावित करते हैं।

  • यदि फेडरल रिजर्व की ओर से नीति में ढील देने या ब्याज दरें घटाने का संकेत मिलता है, तो आम तौर पर अमेरिकी डॉलर में कमजोरी, सोने और अन्य बहुमूल्य धातुओं की कीमतों में वृद्धि और शेयर बाजारों में तेजी देखी जाती है। यह निवेशकों को जोखिम वाली संपत्तियों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • इसके विपरीत, यदि कठोर नीति अपनाने या ब्याज दरें बढ़ाने की बात होती है, तो डॉलर मजबूत होता है, बाजार में अस्थिरता बढ़ती है और शेयर बाजारों में गिरावट आ सकती है। ऐसे में निवेशक सुरक्षित ठिकानों की तलाश करते हैं, जिससे शेयर बाजार दबाव में आ सकते हैं।

इसलिए, निवेशक, व्यापारी और वित्तीय संस्थान इस संगोष्ठी को अत्यंत गहरी निगाह से देखते हैं, क्योंकि यहाँ से निकलने वाले संकेत उनके निवेश पोर्टफोलियो और व्यापार रणनीतियों को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।

जेक्सन होल का भारतीय बाजारों पर प्रभाव:

भारत जैसे विकासशील देशों के लिए जेक्सन होल आर्थिक संगोष्ठी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि अमेरिकी बाजार और नीतियाँ भारतीय शेयर बाजारों, विदेशी निवेश और विनिमय दरों पर सीधे प्रभाव डालती हैं।

  • उदाहरण के लिए, यदि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती की बात करता है, तो भारतीय आईटी कंपनियों को विदेशी ग्राहकों से बढ़ी हुई मांग मिल सकती है, जिससे उनके शेयरों में उछाल आता है। यह भारतीय आईटी क्षेत्र के लिए एक बड़ा उत्प्रेरक साबित हो सकता है, जैसा कि हालिया बाजार रैली में देखा गया।
  • भारत में भी विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) के माध्यम से विदेशी पूंजी प्रवाह प्रभावित होता है, जो बाजार की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। यदि अमेरिकी ब्याज दरें कम होती हैं, तो विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं, जिससे भारतीय बाजारों में पूंजी प्रवाह बढ़ सकता है।
  • इस तरह, वैश्विक नीतिगत निर्णयों के संकेत रोजगार, उपभोग और आर्थिक विकास की गति पर भी असर डालते हैं। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के समग्र विकास और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

2025 में जेक्सन होल से क्या उम्मीदें हैं?:

2025 के जेक्सन होल सम्मेलन से बाजारों की दृष्टि से प्रमुख आशाएँ और चिंताएँ जुड़ी हैं। निवेशक विशेष रूप से फेडरल रिजर्व अध्यक्ष जेरोम पॉवेल के भाषण की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिसमें वे ब्याज दरों में संभावित कटौती या मौद्रिक नीति की दिशा के बारे में संकेत दे सकते हैं।

  • हालांकि, आर्थिक आँकड़ों में उतार-चढ़ाव के चलते यह निश्चित नहीं है कि फेडरल रिजर्व कटौती का ऐलान करेगा, और इसीलिए बाजार में अस्थिरता की स्थितियाँ बनी रहती हैं।
  • यदि पॉवेल 'वेट एंड सी' (Wait and See) नीति अपनाते हैं, तो बाजार यह मान सकते हैं कि फेडरल रिजर्व आर्थिक बदलावों के अनुसार तेजी से कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिससे बाजार में उलझन और अस्थिरता बढ़ सकती है। यह निवेशकों को अनिश्चितता में डाल सकता है और बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ा सकता है।
  • दूसरी ओर, यदि फेड आरक्षित नीति में ढील देने की घोषणा करता है, तो बाजारों में तेजी और विदेशी निवेश में वृद्धि की संभावना बनती है। यह भारतीय बाजारों को भी सीधा लाभ पहुँचाएगा।

विश्व की प्रमुख केंद्रीय बैंकों की भूमिका:

जैकसन होल सम्मेलन में केवल अमेरिकी फेडरल रिजर्व ही नहीं, बल्कि यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB), बैंक ऑफ इंग्लैंड (BOE) और अन्य देशों के केंद्रीय बैंक भी अपनी नीतिगत रणनीतियों को साझा करते हैं। जब ये बड़े बैंक अपनी मौद्रिक नीतियों में बदलाव का संकेत देते हैं, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है।

यह एक प्रकार से वैश्विक आर्थिक नीति का संवाद मंच होता है जहाँ विश्व आर्थिक स्थिरता और विकास की दिशा पर विचार-विमर्श होता है। वैश्विक मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, व्यापार नीतियों तथा जलवायु परिवर्तन जैसे समसामयिक विषय भी इन चर्चाओं का हिस्सा होते हैं, जिससे यह मंच वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

नीति निर्धारण में जेक्सन होल संगोष्ठी की भूमिका:

यह संगोष्ठी न केवल चर्चा और विचार-विमर्श का मंच है, बल्कि महत्त्वपूर्ण नीतिगत घोषणाओं और दिशा-निर्देशों का स्रोत भी रही है। उदाहरण स्वरूप, 2010 में बेन बर्नांके ने यहाँ आर्थिक नीतियों में बदलाव का ऐलान किया था, जिसने वैश्विक वित्तीय बाजारों को प्रभावित किया। 2020 में जेरोम पॉवेल ने मौद्रिक नीति के नए ढांचे की घोषणा की, जो रोजगार व मुद्रास्फीति के बीच संतुलन स्थापित करने पर केंद्रित था।

इस प्रकार, यह सम्मेलन नीति निर्माताओं को किसी भी आर्थिक परिस्थिति के अनुसार अपने निर्णयों को पुनः जांचने और नए बहुपक्षीय विचारों को अपनाने में सक्षम बनाता है। यह वैश्विक आर्थिक नीति को आकार देने में एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है।

जेक्सन होल संगोष्ठी: वैश्विक आर्थिक नीतियों का मंथन:

आर्थिक विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के लिए यह आयोजन उन नीतिगत टूल्स और रणनीतियों का विश्लेषण करता है जो वैश्विक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, आर्थिक विकास को संजोने और वित्तीय बाजारों के उतार-चढ़ाव से निपटने में सहायक होते हैं।

यहां पर श्रम बाजार, विदेशी पूंजी प्रवाह, बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता और नई आर्थिक वास्तविकताओं से जुड़ी चुनौतियों पर गहन विश्लेषण होता है। ऐसे मुद्दे जैसे कि रोजगार के नए अवसर, तकनीकी प्रगति और पर्यावरणीय दबाव भी इस मंच पर चर्चा होते हैं। यह मंच नीति निर्माताओं को इन जटिल मुद्दों पर एक साथ मिलकर समाधान खोजने का अवसर प्रदान करता है।

जेक्सन होल और डिजिटल अर्थव्यवस्था:

जैसे-जैसे डिजिटल अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है, संगोष्ठी में डिजिटलीकरण और तकनीकी नवाचारों का वित्तीय स्थिरता और नीतिगत ढांचे पर प्रभाव भी चर्चा का हिस्सा होता है। क्रिप्टोकरेंसी, डिजिटल भुगतान प्रणालियाँ और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे विषय भी इसमें शामिल हैं।

विशेषज्ञ यह समझने की कोशिश करते हैं कि ये तकनीकी बदलाव कैसे आर्थिक विकास को तेज कर सकते हैं या वित्तीय जोखिम बढ़ा सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्रीय बैंकर्स को इन तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त नियामक और नीतिगत ढाँचे विकसित करने की आवश्यकता है।


घरेलू संस्थागत निवेशकों का सहारा: बाजार को मिली मजबूती

बाजार की इस हालिया तेजी को बनाए रखने में घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की मजबूत खरीदारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैविदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा ₹634 करोड़ के शेयर बेचे जाने के बावजूद, घरेलू संस्थागत निवेशकों की जोरदार खरीद ने रैली को बनाए रखने में मदद की और सत्र में बीएसई-सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में लगभग ₹2 लाख करोड़ का इजाफा किया। घरेलू संस्थानों ने शुद्ध रूप से ₹2,261 करोड़ की खरीदारी की, जो बाजार को ऊपर रखने में एक मजबूत आधार प्रदान करता है। यह दर्शाता है कि भारतीय बाजार अब केवल विदेशी पूंजी प्रवाह पर ही निर्भर नहीं हैं, बल्कि घरेलू निवेशकों की भागीदारी भी काफी बढ़ गई है, जिससे बाजार को एक नई स्थिरता मिल रही है।


आगे की राह: चुनौतियाँ और संभावनाएँ

भारतीय बाजारों का यह प्रदर्शन कई महत्वपूर्ण कारकों का परिणाम है: आईटी शेयरों में मजबूत रैली, व्यापक बाजार की मजबूती, फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति का अनुमान, और घरेलू संस्थागत निवेशकों का समर्थन। ये सभी कारक निफ्टी 50 की हालिया upward momentum और 25,000 के स्तर को पार करने के पीछे रहे हैं।

हालांकि, कुछ चिंताएँ भी बनी हुई हैं। अगस्त 27 की संभावित अमेरिकी टैरिफ की समय सीमा पर चिंताएँ बनी हुई हैं, जिस पर विश्लेषकों का कहना है कि यह निरंतर लाभ को सीमित कर सकती हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, बाजार पूंजीकरण में वृद्धि निवेशकों के मजबूत विश्वास को दर्शाती है।

जेक्सन होल संगोष्ठी से निकलने वाले संकेत, विशेषकर फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल का भाषण, भारतीय और वैश्विक बाजारों की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होंगे। यदि फेड का रुख उदार रहता है, तो भारतीय आईटी कंपनियों को फायदा होगा और बाजार में सकारात्मक माहौल बना रहेगा। दूसरी ओर, एक सतर्क या कठोर रुख बाजार में कुछ अस्थिरता ला सकता है।

कुल मिलाकर, भारतीय शेयर बाजार एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। घरेलू विकास की कहानियाँ, नीतिगत सुधारों की उम्मीदें और वैश्विक मौद्रिक नीतियों से मिलने वाले संकेत, ये सभी भारतीय बाजारों की भविष्य की चाल को आकार देंगे। आने वाले दिनों में जेक्सन होल से निकलने वाले निष्कर्षों पर निवेशकों की पैनी नजर रहेगी, क्योंकि वे भविष्य की आर्थिक दशा को निर्धारित करेंगे।


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