2 अक्टूबर 2025 की ताज़ा खबरें: भारत और विश्व समाचार

2 अक्टूबर 2025 की ताज़ा खबरें: भारत और विश्व समाचार

2 अक्टूबर 2025की प्रमुख वैश्विक और भारतीय घटनाओं का व्यापक अवलोकन। इनमें सबसे महत्वपूर्ण खबरें शामिल हैं जैसे कि भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने की घोषणा और विभिन्न स्टॉक मार्केट अपडेट, जो व्यापक आर्थिक रुझानों को दर्शाते हैं। इसके अतिरिक्त, महात्मा गांधी के जीवन, दर्शन और अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर उनके प्रभाव पर विस्तृत जानकारी दी गई है। वैश्विक घटनाओं में ग्रीस में हड़ताल और इज़राइली सेना द्वारा गाजा सहायता फ़्लोटिला को रोके जाने के कारण ग्रेटा थनबर्ग सहित कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी जैसी राजनीतिक और मानवीय संकटों पर प्रकाश डाला गया है। भारत के भीतर, मुख्य खबरें गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि, निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि, और लेह विरोध हिंसा की जाँच के आदेश पर केंद्रित हैं।


न्यूज़ ब्लॉग: 2 अक्टूबर 2025 - गांधी जयंती पर वैश्विक उथल-पुथल और भारत की बदलती रणनीति

दिनांक: 2 अक्टूबर 2025

परिचय: 2 अक्टूबर 2025 का दिन भारत के लिए केवल एक राष्ट्रीय अवकाश नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा दिन था जब देश ने अपने दो महानतम सपूतों - महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद किया। यह दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिसे 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव A/RES/61/271 द्वारा स्थापित किया गया था। लेकिन इस शांति और अहिंसा के प्रतीक दिवस पर, भारत और दुनिया भर में महत्वपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक घटनाक्रमों की एक श्रृंखला देखी गई, जिसने वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य की जटिलताओं को उजागर किया। एक ओर जहां भारत ने अपनी रक्षा नीति में दृढ़ता दिखाई, वहीं दूसरी ओर चीन के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। वैश्विक मंच पर, मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया, अमेरिका में राजनीतिक गतिरोध जारी रहा, और ब्रिटेन में एक आतंकवादी हमले ने दुनिया को झकझोर दिया। यह ब्लॉग इन सभी प्रमुख घटनाओं का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो केवल दिए गए स्रोतों की जानकारी पर आधारित है।


भाग 1: अहिंसा का दिन - महात्मा गांधी की विरासत का एक गहन अन्वेषण

2 अक्टूबर का दिन महात्मा गांधी की जयंती है, जिन्हें भारत में राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है। उनका जन्मदिन भारत में गांधी जयंती नामक एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है, और दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गांधी एक भारतीय वकील, उपनिवेशवाद विरोधी कार्यकर्ता और राजनीतिक नैतिकतावादी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए सफल अभियान का नेतृत्व करने के लिए अहिंसक प्रतिरोध का इस्तेमाल किया। उन्होंने दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आंदोलनों को प्रेरित किया।

श्रद्धांजलि और स्मरण

भारत ने महात्मा गांधी की 156वीं जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने क्रमशः राजघाट और विजय घाट पर पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री मोदी ने एक पोस्ट में कहा, "गांधी जयंती प्यारे बापू के असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि देने के बारे में है, जिनके आदर्शों ने मानव इतिहास की दिशा बदल दी। उन्होंने दिखाया कि कैसे साहस और सादगी महान परिवर्तन के साधन बन सकते हैं। हम विकसित भारत के निर्माण की अपनी खोज में उनके मार्ग पर चलते रहेंगे"। उन्होंने शास्त्री जी के शासन को भी याद किया और उनके नारे "जय जवान जय किसान" को देशभक्ति और राष्ट्र-निर्माण के लिए एक स्थायी प्रेरणा बताया। मॉरीशस में गांधी जयंती समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी शामिल हुए और राष्ट्रपिता को पुष्पांजलि अर्पित की।

इस दिन, एक प्रसिद्ध गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी और श्रमिक आंदोलन के प्रणेता जी.जी. पारिख का 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिसे भी याद किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस की स्थापना

2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव जनवरी 2004 में ईरानी नोबेल पुरस्कार विजेता शिरिन एबादी द्वारा मुंबई में विश्व सामाजिक मंच पर लाया गया था। यह विचार धीरे-धीरे भारत की कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं की रुचि को आकर्षित करने लगा। जनवरी 2007 में नई दिल्ली में एक सत्याग्रह सम्मेलन में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और आर्कबिशप डेसमंड टूटू द्वारा शुरू किए गए एक प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र से इस विचार को अपनाने का आह्वान किया गया।

15 जून 2007 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में स्थापित करने के लिए मतदान किया। महासभा का संकल्प संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के सभी सदस्यों से 2 अक्टूबर को "एक उचित तरीके से मनाने और शिक्षा और जन जागरूकता सहित अहिंसा के संदेश का प्रसार करने" के लिए कहता है। यह दिन "शांति, सहिष्णुता, समझ और अहिंसा की संस्कृति की इच्छा की पुष्टि करने" का एक अवसर है।

महात्मा गांधी: एक विस्तृत जीवन परिचय

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के तटीय शहर पोरबंदर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता, करमचंद गांधी, पोरबंदर राज्य के दीवान (मुख्यमंत्री) थे। गांधी की माँ, पुतलीबाई, एक अत्यंत धर्मनिष्ठ महिला थीं, जिनका उन पर गहरा प्रभाव था। 13 साल की उम्र में, उनका विवाह 14 वर्षीय कस्तूरबाई से एक अरेंज मैरिज में हुआ था। गांधी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन गए और 22 साल की उम्र में बार में बुलाए गए।

दक्षिण अफ्रीका में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता (1893-1914): भारत में एक सफल कानून अभ्यास शुरू करने में असमर्थ होने के बाद, गांधी 1893 में एक भारतीय व्यापारी का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए। उन्होंने वहां 21 साल बिताए, जहां उन्होंने अपने राजनीतिक विचारों, नैतिकता और राजनीति को विकसित किया। दक्षिण अफ्रीका में, गांधी को उनकी त्वचा के रंग और विरासत के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा। उन्हें एक ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया, पीटा गया और अपमानित किया गया। इन अनुभवों ने उन्हें अपने लोगों की स्थिति पर सवाल उठाने और अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने 1894 में नटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की और पहली बार सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) की अपनी कार्यप्रणाली को अपनाया। बोअर युद्ध के दौरान, उन्होंने 1900 में नटाल इंडियन एम्बुलेंस कॉर्प्स के रूप में स्ट्रेचर-बियरर्स का एक समूह बनाने के लिए स्वेच्छा से काम किया।

भारतीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष (1915-1947): 1915 में 45 वर्ष की आयु में भारत लौटने पर, गांधी जल्द ही किसानों, खेतिहरों और शहरी मजदूरों को भेदभाव और अत्यधिक भूमि-कर के खिलाफ विरोध करने के लिए संगठित करने लगे। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभालने के बाद, उन्होंने गरीबी कम करने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार करने, धार्मिक और जातीय सौहार्द बनाने, अस्पृश्यता को समाप्त करने और सबसे बढ़कर स्वराज या स्व-शासन प्राप्त करने के लिए देशव्यापी अभियान चलाए। उन्होंने 1930 में 400 किमी (250 मील) के दांडी नमक मार्च के साथ ब्रिटिश-लगाए गए नमक कर को चुनौती दी और 1942 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने का आह्वान किया। उन्हें दक्षिण अफ्रीका और भारत दोनों में कई बार और कई वर्षों तक जेल में रखा गया।

विभाजन और हत्या: गांधी के धार्मिक बहुलवाद पर आधारित एक स्वतंत्र भारत के दृष्टिकोण को 1940 के दशक की शुरुआत में एक मुस्लिम राष्ट्रवाद द्वारा चुनौती दी गई थी, जिसने ब्रिटिश भारत के भीतर मुसलमानों के लिए एक अलग मातृभूमि की मांग की थी। अगस्त 1947 में, ब्रिटेन ने स्वतंत्रता प्रदान की, लेकिन ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य को दो डोमिनियन, एक हिंदू-बहुल भारत और एक मुस्लिम-बहुल पाकिस्तान में विभाजित कर दिया गया। गांधी ने विभाजन का विरोध किया था। 30 जनवरी 1948 को, एक हिंदू राष्ट्रवादी, नथुराम गोडसे ने दिल्ली में एक अंतर-धार्मिक प्रार्थना सभा में गांधी की छाती में तीन गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी।

गांधी के सिद्धांत और अहिंसा का दर्शन

गांधी के दर्शन के केंद्र में सत्य और अहिंसा के सिद्धांत थे।

  • सत्य और सत्याग्रह: गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और अनुसरण के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है "सत्य पर आग्रह"। उन्होंने पहले कहा, "ईश्वर सत्य है," और बाद में इसे बदलकर "सत्य ही ईश्वर है" कर दिया। सत्याग्रह का सार उत्पीड़क के खिलाफ पाशविक बल का उपयोग करने से इनकार करना है, जिसका उद्देश्य उत्पीड़क और उत्पीड़ित के बीच विरोध को समाप्त करना है। यह "आत्मा-बल" का उपयोग है।
  • अहिंसा (Nonviolence): हालांकि गांधी अहिंसा के सिद्धांत के प्रवर्तक नहीं थे, लेकिन वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास है और इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। गांधी ने अहिंसा को "हिंसा से असीम रूप से श्रेष्ठ" माना, लेकिन उन्होंने कायरता पर हिंसा को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा, "इससे बेहतर है कि हिंसक बनें, अगर हमारे दिलों में हिंसा है, बजाय इसके कि नपुंसकता को ढकने के लिए अहिंसा का लबादा ओढ़ लें"।

अहिंसा की व्यापक अवधारणा

अहिंसा की जड़ें भारतीय धर्मों में गहरी हैं, खासकर हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में।

  • हिंदू धर्म में अहिंसा: अहिंसा एक नैतिक अवधारणा के रूप में वैदिक ग्रंथों में विकसित हुई। यजुर्वेद कहता है, "सभी प्राणी मुझे मित्र की दृष्टि से देखें, मैं भी ऐसा ही करूं, और हम एक दूसरे को मित्र की दृष्टि से देखें"। महाकाव्य महाभारत में कई बार "अहिंसा परमो धर्मः" (अहिंसा सर्वोच्च नैतिक गुण है) वाक्यांश का उल्लेख है। हालांकि, हिंदू धर्म के शास्त्रीय ग्रंथ आत्मरक्षा, आपराधिक कानून और युद्ध के संदर्भ में न्यायपूर्ण हिंसा और आनुपातिक दंड के सिद्धांतों पर भी चर्चा करते हैं।
  • जैन धर्म में अहिंसा: जैन धर्म में, अहिंसा की समझ और कार्यान्वयन किसी भी अन्य धर्म की तुलना में अधिक कट्टरपंथी, सूक्ष्म और व्यापक है। किसी भी जीवित प्राणी को जुनून में मारना हिंसा माना जाता है और ऐसे कार्य से बचना अहिंसा है। यह जैन धर्म के 'पांच व्रतों' में सबसे प्रमुख माना जाता है। जैन धर्म में शाकाहार या वीगनिज़्म अनिवार्य है।
  • बौद्ध धर्म में अहिंसा: बौद्ध ग्रंथों में, अहिंसा पांच उपदेशों का हिस्सा है, जिनमें से पहला हत्या से दूर रहना है। यह उपदेश बौद्ध आम आदमी और भिक्षु समुदाय दोनों पर लागू होता है। हत्या, बौद्ध मान्यता में, नरकीय क्षेत्र में पुनर्जन्म का कारण बन सकती है।
अहिंसा के दो मुख्य रूप हैं: सैद्धांतिक और व्यावहारिक
  • सैद्धांतिक अहिंसा (Principled Nonviolence) इस विश्वास पर आधारित है कि हिंसा नैतिक रूप से गलत है और यह किसी भी संघर्ष का सबसे अच्छा नैतिक जवाब है। इसके अनुयायी मानव सद्भाव में विश्वास करते हैं और हिंसा और जबरदस्ती को नैतिक रूप से अस्वीकार करते हैं। महात्मा गांधी इस दृष्टिकोण के सबसे प्रसिद्ध अधिवक्ताओं में से एक थे।
  • व्यावहारिक अहिंसा (Pragmatic Nonviolence) का मूल उद्देश्य एक सामाजिक या राजनीतिक आंदोलन बनाना है जो यथास्थिति बनाए रखने वालों पर जीत हासिल किए बिना सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित कर सकता है। इस दृष्टिकोण के अनुयायी मानते हैं कि हिंसा में शामिल होना बहुत महंगा है और अहिंसक कार्रवाई शक्ति को चुनौती देने का एक प्रभावी तरीका है। जीन शार्प, एक अमेरिकी राजनीतिक वैज्ञानिक, ने इस दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।

भाग 2: भारत की सामरिक गणना - रक्षा, कूटनीति और घरेलू स्थिरता

यह दिन भारत की दोहरी रणनीति का प्रतीक था: एक तरफ पाकिस्तान के प्रति एक कठोर और स्पष्ट रक्षा नीति, और दूसरी तरफ चीन के साथ संबंधों में एक सतर्क लेकिन सकारात्मक कूटनीतिक पहल।

रक्षा मुद्रा और पाकिस्तान को संकेत: ऑपरेशन सिंदूर और सर क्रीक रेड लाइन

विजयादशमी के अवसर पर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के कच्छ में भुज सैन्य स्टेशन पर सैनिकों को संबोधित किया और शस्त्र पूजा की। इस अवसर पर उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और रणनीतिक उद्देश्यों पर प्रकाश डाला, जो मई 2025 में पाकिस्तान के साथ एक संक्षिप्त सशस्त्र संघर्ष था। सिंह ने जोर देकर कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में किया गया यह ऑपरेशन, सशस्त्र बलों (सेना, नौसेना और वायु सेना) की "निर्बाध एकजुटता" का प्रदर्शन करते हुए, रिकॉर्ड समय में सभी सैन्य उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्थिति को पूर्ण पैमाने पर युद्ध में बदलना भारत का उद्देश्य नहीं था, जो एक सधी हुई सैन्य प्रतिक्रिया सिद्धांत के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इस सफल ऑपरेशन ने भारत के दृष्टिकोण को मौलिक रूप से बदल दिया है, जिससे भविष्य के आतंकवादी हमलों के लिए दंडात्मक लागत लगाने और राज्य प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक भारतीय कार्रवाई को रोकने वाले परमाणु सीमा के "मिथक" को खत्म करने का एक स्पष्ट सिद्धांत स्थापित हुआ है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की और कहा कि पहलगाम हमले ने "भारत के सच्चे दोस्तों" को उजागर किया।

हालांकि, रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में एक नया पारंपरिक फोकस जोड़ा। उन्होंने सर क्रीक क्षेत्र के संबंध में एक कड़ी चेतावनी जारी करते हुए घोषणा की कि सर क्रीक क्षेत्र में किसी भी पाकिस्तानी आक्रमण का "मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा"। सर क्रीक भारत के गुजरात और पाकिस्तान के सिंध को अलग करने वाला एक महत्वपूर्ण, अनसुलझा समुद्री सीमा विवाद है, जिसका सीमांकन दोनों देशों के विशेष आर्थिक क्षेत्रों (EEZ) को परिभाषित करने के लिए आवश्यक है। यह स्पष्ट चेतावनी दर्शाती है कि भारत का ऑपरेशन सिंदूर के बाद का सिद्धांत बहुआयामी है: यह आक्रामक, गैर-परक्राम्य रक्षा की प्रतिबद्धता को ऐतिहासिक रूप से विवादित पारंपरिक फ्लैशपॉइंट्स तक बढ़ाता है, जिससे पाकिस्तान के खिलाफ एक व्यापक, सक्रिय निवारक ढांचा मजबूत होता है।

चीन के साथ राजनयिक सामान्यीकरण: पांच साल की उड़ान रोक का अंत

द्विपक्षीय संबंधों में एक सतर्क नरमी का संकेत देते हुए, विदेश मंत्रालय (MEA) ने घोषणा की कि भारत और चीन सीधी यात्री उड़ानें फिर से शुरू करने पर सहमत हो गए हैं। यह निर्णय मार्च 2020 में COVID-19 महामारी के कारण शुरू हुई लगभग पांच साल की रोक को समाप्त करता है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बढ़े तनाव के कारण लंबी हो गई थी।

समझौते के तहत, दोनों देशों के नामित वाहक अक्टूबर 2025 के अंत तक शीतकालीन मौसम कार्यक्रम के अनुरूप निर्दिष्ट बिंदुओं को जोड़ने वाली सीधी हवाई सेवाओं को फिर से शुरू कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय के बयान के बाद, इंडिगो ने 26 अक्टूबर, 2025 से कोलकाता को व्यापार केंद्र ग्वांगझू से जोड़ने वाली दैनिक, नॉन-स्टॉप उड़ानें फिर से शुरू करने की घोषणा की, और एक दिल्ली मार्ग की भी योजना है। टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया भी इस साल के अंत तक दिल्ली और शंघाई के बीच उड़ानें शुरू करेगी और मंजूरी का इंतजार कर रही है। चीनी वाहक जैसे एयर चाइना, चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस, चाइना सदर्न एयरलाइंस और शेडोंग एयरलाइंस ने भी उड़ानें फिर से शुरू करने के लिए दिल्ली हवाई अड्डे से संपर्क किया है।

विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि इस समझौते का प्राथमिक कारण "लोगों से लोगों के संपर्क को सुविधाजनक बनाना" और "द्विपक्षीय आदान-प्रदान के क्रमिक सामान्यीकरण" में योगदान देना है। यह कूटनीतिक पहल इस वर्ष आयोजित तकनीकी और मंत्रिस्तरीय स्तर की कई दौर की चर्चाओं के बाद हुई है। इस निर्णय को एक आर्थिक और मानवीय आवश्यकता के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि उड़ान निलंबन ने लोगों की आवाजाही को महामारी-पूर्व स्तरों के आधे से भी कम कर दिया था, जिससे छात्रों और व्यवसायों को दक्षिण-पूर्व एशियाई केंद्रों के माध्यम से महंगे, अप्रत्यक्ष कनेक्शन पर निर्भर रहना पड़ रहा था।

यह कदम दोनों देशों के बीच "संबंधों के क्रमिक सामान्यीकरण" की दिशा में सरकार के दृष्टिकोण का हिस्सा है। यह घटनाक्रम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के एक महीने बाद आया है, जहां उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) क्षेत्रीय सुरक्षा ब्लॉक की बैठक में भाग लिया था। इस यात्रा के दौरान, मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस बात पर सहमति व्यक्त की थी कि भारत और चीन विकास भागीदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं, और वैश्विक टैरिफ अनिश्चितता के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की थी।

घरेलू राजनीतिक और सुरक्षा वातावरण

  • राजनीतिक विमर्श और संस्थागत जवाबदेही: राजनीतिक क्षेत्र में, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता, राहुल गांधी ने कोलंबिया की अपनी यात्रा के दौरान कहा कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती "लोकतंत्र पर हमला" है, इसे "भारत के लिए एक बड़ा जोखिम" करार दिया। उन्होंने कहा, "लोकतंत्र में अलग-अलग विचारों को जगह देनी चाहिए"। भाजपा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी पर "विदेशी धरती पर भारत को नीचा दिखाने" और "देश को विभाजित करने" का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गांधी को राजनीतिक विरोध में भी देशभक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
  • आरएसएस का शताब्दी समारोह: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने 100वें स्थापना दिवस का जश्न मनाया। नागपुर में एक कार्यक्रम में, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सामाजिक सुधार पर जोर दिया और कहा कि "हिंसक मार्गों से बदलाव नहीं होता"। उन्होंने कहा कि संघ "राष्ट्र की महिमा के लिए काम कर रहा है" और युवा "देशभक्ति के प्रति आकर्षित हो रहे हैं"। प्रधानमंत्री मोदी ने भी आरएसएस की यात्रा पर भाषण दिया। इसके विपरीत, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने आरएसएस के एक स्मारक सिक्के की रिहाई की निंदा की, और कांग्रेस ने ऐतिहासिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया कि गांधी आरएसएस को "एक सांप्रदायिक संस्था" मानते थे।
  • सार्वजनिक सुरक्षा और बुनियादी ढांचा संबंधी चिंताएँ: उत्तर प्रदेश सरकार ने दशहरा उत्सव के लिए कड़े सुरक्षा उपाय लागू किए, जिसमें बरेली मंडल में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाओं का निलंबन और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्रोन की तैनाती शामिल है। मध्य प्रदेश के खंडवा में मूर्ति विसर्जन के दौरान एक ट्रैक्टर-ट्रॉली के झील में गिर जाने से 11 लोगों की मौत हो गई, जो एक दुखद हादसा था। कुछ रिपोर्टों में मरने वालों की संख्या 9 बताई गई है। उज्जैन में भी तेज हवाओं के कारण रावण का पुतला गिरने से तीन लोग घायल हो गए।
  • अपराध और जांच: दिल्ली पुलिस ने एक मुठभेड़ के बाद रोहित गोदारा-गोल्डी बराड़ गैंग के दो शूटरों को गिरफ्तार किया। ये शूटर कथित तौर पर कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी की हत्या की साजिश रच रहे थे।

भाग 3: वैश्विक फ्लैशप्वाइंट - दुनिया भर में संघर्ष और संकट

2 अक्टूबर का दिन केवल भारत की सीमाओं के भीतर ही घटनापूर्ण नहीं था, बल्कि वैश्विक मंच पर भी कई महत्वपूर्ण और तनावपूर्ण घटनाक्रम हुए।

गाजा फ्लोटिला अवरोधन और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अंतर्राष्ट्रीय ध्यान मध्य पूर्व संघर्ष के बढ़ने पर केंद्रित था, जब इज़राइल ने ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला (GSF) को रोक दिया, जो गाजा पट्टी की समुद्री नाकेबंदी को तोड़ने का प्रयास कर रहा था। गाजा की 18 साल की नाकेबंदी को चुनौती देने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा प्रयास बताया जा रहा है, जिसमें कम से कम 44 देशों के लगभग 500 कार्यकर्ताओं को ले जाने वाले लगभग 50 जहाज शामिल थे।

इज़राइली नौसेना ने गाजा के तट से लगभग 70 समुद्री मील (130 किमी) दूर कम से कम 19 जहाजों को रोका। हिरासत में लिए गए और एक इज़राइली बंदरगाह पर स्थानांतरित किए गए हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों में स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, नेल्सन मंडेला के पोते मंडला मंडेला और बार्सिलोना की पूर्व मेयर एडा कोलाउ शामिल थे।

इज़राइल ने अपनी कार्रवाइयों को यह कहकर उचित ठहराया कि फ्लोटिला एक "उकसावे" की कार्रवाई थी, और कार्यकर्ताओं पर हमास से कथित संबंधों का आरोप लगाया। फ्लोटिला के आयोजकों ने इस हस्तक्षेप को अवैध बताया और रिपोर्ट किया कि इज़राइली बलों ने बोर्डिंग से पहले उच्च दबाव वाले "स्कंक वाटर" और धमकी की रणनीति का इस्तेमाल किया।

ग्रेटा थनबर्ग और मंडला मंडेला जैसे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हस्तियों को हिरासत में लेने से इस घटना की मीडिया प्रोफाइल काफी बढ़ गई, जिससे यह एक बड़ा अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक संकट बन गया। इस घटना ने इस्तांबुल, एथेंस, रोम, बर्लिन, ब्यूनस आयर्स और मैड्रिड सहित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शहरों में व्यापक निंदा और समन्वित सड़क विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया। आधिकारिक तौर पर, यूके, जर्मनी, स्पेन और फ्रांस सहित कई यूरोपीय देशों ने इज़राइल की कार्रवाइयों की निंदा की और हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं की सुरक्षा और शीघ्र रिहाई का आश्वासन मांगा। लंदन स्थित इजरायली दूतावास ने भी मैनचेस्टर हमले की निंदा की, जो इस क्षेत्र में तनाव को दर्शाता है।

वाशिंगटन में राजनीतिक गतिरोध ने वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम बनाए रखा, क्योंकि संयुक्त राज्य सरकार का शटडाउन दूसरे दिन भी जारी रहा। सीनेट सरकार को वित्त पोषित करने के लिए आवश्यक बिलों को पारित करने में बार-बार विफल रही, जिससे तत्काल समाधान अनिश्चित हो गया। राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ एजेंसियों के लिए धन में कटौती करने की धमकी दी है। यह पिछले छह वर्षों में पहला शटडाउन है, जो चल रहे पक्षपातपूर्ण विभाजन को उजागर करता है।

यहूदी कैलेंडर के सबसे पवित्र दिन योम किप्पुर के दौरान मैनचेस्टर, इंग्लैंड में एक सिनेगॉग (प्रार्थना स्थल) के बाहर एक आतंकवादी हमला हुआ। इस हमले में एक हमलावर ने कार और चाकू का इस्तेमाल कर लोगों पर हमला किया, जिसमें चार लोग घायल हो गए। पुलिस द्वारा हमलावर को गोली मार दी गई। कुछ रिपोर्टों में दो लोगों की मौत का भी उल्लेख है। भारत ने इस हिंसा की निंदा करते हुए इसे "आतंकवाद की बुरी ताकतों की एक गंभीर याद" कहा और वैश्विक समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट कार्रवाई का आह्वान किया।

अन्य वैश्विक घटनाक्रम

  • रूस-यूक्रेन संघर्ष: रूस ने कीव पर नए ड्रोन हमले किए, जबकि नाटो ने इसकी निंदा की और अधिक रक्षा सहायता का वादा किया। ज़ापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र आपातकालीन बिजली पर चल रहा था, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ गईं।
  • रूस और संयुक्त राष्ट्र: रूस ने अक्टूबर महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता ग्रहण की।
  • ईरान पर प्रतिबंध: ईरान पर नए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए गए, जिससे इस क्षेत्र में इजरायली हवाई हमलों की आशंका बढ़ गई।
  • पाकिस्तान: पाकिस्तान ने फतह-4 क्रूज मिसाइल का प्रशिक्षण लॉन्च किया। वहीं, पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoJK) में बढ़ती कीमतों और आर्थिक संकट को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए।
  • प्राकृतिक आपदाएं: तुर्की के इस्तांबुल में 5.0 तीव्रता का भूकंप आया। फिलीपींस में आए भूकंप से मरने वालों की संख्या 72 तक पहुंच गई।

भाग 4: व्यापार, अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी

भारत की आर्थिक कहानी इस दिन घरेलू निवेश में उछाल और महत्वपूर्ण नीतिगत सुधारों से प्रेरित थी, जबकि विमानन क्षेत्र में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय विकास हुए।

आर्थिक परिदृश्य: निजी निवेश और RBI के सुधार

  • निजी क्षेत्र के निवेश में उछाल: वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में भारतीय निजी फर्मों द्वारा नई परियोजना घोषणाएं लगभग 15 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। यह वृद्धि लगभग पूरी तरह से घरेलू भारतीय फर्मों द्वारा संचालित थी, जो कुल मूल्य का 94% हिस्सा थीं। हालांकि, सरकारी और विदेशी परियोजनाओं में कमी आई, जो 15 वर्षों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना (ECMS): भारत की ECMS, जिसे अप्रैल 2025 में लॉन्च किया गया था, ने जबरदस्त रुचि आकर्षित की, जिसमें 249 आवेदन और 1.15 लाख करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं थीं - जो योजना के लक्षित 59,350 करोड़ रुपये से लगभग दोगुनी है। यह योजना इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला में आत्मनिर्भरता को मजबूत करने का लक्ष्य रखती है।
  • RBI के सुधार: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो दर को 5.5% पर अपरिवर्तित रखा, लेकिन कई संरचनात्मक सुधारों की घोषणा की। इनमें भारतीय बैंकों को कॉर्पोरेट अधिग्रहण के वित्तपोषण की अनुमति देना और बड़े कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं पर प्रणाली-व्यापी ऋण एकाग्रता सीमा को हटाना शामिल है। इन कदमों का उद्देश्य पूंजी बाजार में तरलता बढ़ाना और कॉर्पोरेट विकास को गति देना है।
  • भारत-EFTA व्यापार समझौता: भारत और चार EFTA सदस्यों (स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, और लिकटेंस्टीन) के बीच व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) 1 अक्टूबर 2025 से लागू हुआ। यह समझौता 15 वर्षों में 100 बिलियन डॉलर के FDI और 1 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियों का लक्ष्य रखता है।

विमानन और प्रौद्योगिकी

  • न्यूयॉर्क में विमानन घटना: न्यूयॉर्क के ला गार्डिया हवाई अड्डे पर एक बड़ी दुर्घटना हुई जब दो डेल्टा एयरलाइंस के विमान टैक्सीवे पर आपस में टकरा गए। एक विमान जो उतरने के बाद गेट की ओर जा रहा था (उड़ान 5047), दूसरे विमान (उड़ान 5155) से टकरा गया जो वर्जीनिया के लिए उड़ान भरने वाला था। इस घटना में एक फ्लाइट अटेंडेंट घायल हो गया और एक विमान का पंख पूरी तरह से टूट गया। दोनों विमान बॉम्बार्डियर सीआरजे-900 मॉडल के थे।
  • एग्निकुल कॉसमॉस: भारतीय निजी अंतरिक्ष स्टार्टअप एग्निकुल कॉसमॉस ने पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन विकसित करने की अपनी महत्वाकांक्षा की घोषणा की, जो स्पेसएक्स के फाल्कन 9 के समान है।
  • एलन मस्क: एलन मस्क 500 अरब डॉलर की नेटवर्थ तक पहुंचने वाले इतिहास के पहले व्यक्ति बने।

निष्कर्ष

2 अक्टूबर 2025 का दिन विरोधाभासों और जटिलताओं से भरा था। भारत में, यह दिन महात्मा गांधी की शांति और अहिंसा की विरासत को याद करने का था। फिर भी, इसी दिन, देश ने अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया और एक पड़ोसी को स्पष्ट चेतावनी दी। इसने चीन के साथ आर्थिक और नागरिक संबंधों को फिर से शुरू करने की दिशा में भी एक कदम उठाया, जो एक व्यावहारिक कूटनीति का संकेत है जो राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देती है।

घरेलू मोर्चे पर, राजनीतिक बहस तेज रही, जिसमें लोकतंत्र की स्थिति पर तीखी नोकझोंक हुई, जबकि आर्थिक सुधारों ने भविष्य के विकास के लिए एक साहसिक दिशा का संकेत दिया।

वैश्विक स्तर पर, अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस संघर्षों और संकटों की पृष्ठभूमि में मनाया गया - गाजा में एक मानवीय मिशन को बलपूर्वक रोका गया, अमेरिका में राजनीतिक विभाजन गहराया, और ब्रिटेन में एक घृणित आतंकवादी हमला हुआ। ये घटनाएँ गांधी के संदेश की स्थायी प्रासंगिकता और शांतिपूर्ण समाधान प्राप्त करने में दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों की एक मार्मिक याद दिलाती हैं।

यह दिन इस बात का प्रमाण था कि दुनिया और भारत अपनी अतीत, वर्तमान और तेजी से बदलते भविष्य के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं - एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें सिद्धांत और व्यावहारिकता, संघर्ष और सहयोग, स्मृति और महत्वाकांक्षा एक दूसरे से टकराते हैं।

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